नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय अतंरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से अश्विन पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को कुशीनगर में अभिधम्म दिवस का आयोजन करा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

कुशीनगर में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, नेपाल, भूटान, कंबोडिया और विभिन्न देशों के राजदूतों के बौद्ध भिक्षु भी पहुंच रहे हैं। इसके साथ वासकाडुवा मंदिर के वर्तमान महानायक के नेतृत्व में 123 प्रतिनिधियों का श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल बौद्ध पवित्र अवशेषों के साथ कार्यक्रम में भाग लेने पहुंच रहे हैं।

सन 1898 में पिपराहवा में हुई थी खुदाई …

साल 1898 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविदों ने उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपराहवा में ब्रिटिश जमींदार विलियम क्लैक्सटन पेप्पे की संपत्ति में एक बड़े टीले की खुदाई की। यह कुशीनगर से 160 किमी दूर है। उन्हें एक बड़ा पत्थर का बॉक्स मिला और इस पत्थर के बक्से के अंदर कुछ ताबूत थे जिस पर कुछ लिखा था। पुरातत्व दल की मदद कर रहे श्रीलंका के वास्काडुवा मंदिर के सुभूति महानायके थेरो और पेप्पे ने पाठ का अनुवाद किया। ताबूत पर लिखे पाठ का अनुवाद है “बुद्ध के अवशेषों को जमा करने का यह नेक काम शाक्य के भाइयों, बहनों और बच्चों द्वारा किया गया था। इन अवशेषों को वास्तविक अवशेष (हड्डी के टुकड़े, राख, बुद्ध के गहनों के टुकड़े) के रूप में स्वीकार किया जाता है।

इस स्तूप से प्राप्त बुद्ध अवशेषों का एक हिस्सा थाईलैंड के राजा को भेजा गया था और दूसरा हिस्सा बर्मा के राजा को भेजा गया था। पेप्पे ने सुभूति महानायके थेरो को कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में अवशेषों का एक और हिस्सा सौंप दिया। उसी अवशेष का एक हिस्सा तीन छोटे कमल में जड़ित है। इन्हें ३० सेमी के ताबूत में रखे गए हैं। इसे 26.5 सेमी लंबी लकड़ी के स्टैंड पर लगाया गया है। इन अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए कुशीनगर लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री पवित्र अवशेष की पूजा करेंगे और बुद्ध की लेटी हुई मूर्ति पर फूल और शिवर चढ़ाने के लिए महापरिनिर्वाण मंदिर भी जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर गौतम बुद्ध का अंतिम विश्राम स्थल है, जहां उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यह प्राचीन काल से बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के शुरू होने से यहां दुनिया भर के बौद्ध धर्म के लोगों को यहां पहुंचने में आसानी होगी। दुनिया को पवित्र स्थलों को जोड़ने में यह हवाई अड्डा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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