नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 16 दिनों की अवधि को पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021)कहा जाता है जिसमें लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं. पितृपक्ष हर साल भाद्रपद के महीने में आता है जिसमें पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है. ये पूर्वजों को ये बताना का एक तरीका है कि वो अभी भी परिवार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. वेद और पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है और गलतियों के लिए क्षमा मांगी जाती है. पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष के अनुष्ठानों के दौरान कोई भी गलती पूर्वजों को नाराज कर सकती है जो पितृ दोष का कारण बन सकती है. इसलिए इस दौरान ऐसे कामों से बचने की सलाह दी जाती है.

प्याज-लहसुन ना खाएं- हिंदू शास्त्रों में प्याज और लहसुन को ‘तामसिक’ माना जाता है, जो हमारी इंद्रियों को प्रभावित करती है. पितृपक्ष की अवधि के दौरान, खाने में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.

कोई जश्न ना मनाएं- पितृपक्ष के दौरान कोई भी जश्न या उत्सव नहीं मनाना चाहिए और ना ही इसका हिस्सा बनना चाहिए. अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए. इस अवधि में किसी भी तरह का जश्न मनाने से आपके पूर्वजों के प्रति आपकी श्रद्धा प्रभावित होती है.

कोई नई शुरुआत ना करें- पितृपक्ष की अवधि को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी नया शुरू ना करने की सलाह दी जाती है. इस दौरान परिवार के सदस्यों को कुछ भी नया नहीं खरीदा जाना चाहिए. इस दौरान अगर कोई खुशखबरी मिलती है तो इसका उत्सव पितृपक्ष के बाद मनाना चाहिए.

शराब और मांस का सेवन ना करें- पितृपक्ष का समय पूर्वजों को समर्पित है, इसलिए इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए. इस नियम का पालन ना करने से पूर्वज क्रोधित हो सकते हैं. आपको जीवन में अचानक कई कठिनाइयों और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है.

इन कामों से बचें- इन सोलह दिनों की अवधि में परिवार के सदस्यों को नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से बचना चाहिए. इसके अलावा इन दिनों शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए. मन और विचारों की अशुद्धता पूर्वजों को नाराज कर सकती है.

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