जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन के बाद अब ये सवाल उठने लगा है कि भारत का स्टैंड अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर क्या होगा…

जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेट्स देने वाला अनुच्छेद 370 खत्म हो गया है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया है. जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी लेकिन वो केंद्र शासित प्रदेश होगा. केंद्र के इस फैसले के बाद सवाल उठने लगे हैं कि अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का क्या होगा? सोमवार को यही सवाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पूछा.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा तो खत्म कर दिया अब सरकार बताए कि पीओके पर उसका क्या स्टैंड है? वहीं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हैं. अब सरकार का अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करना होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मध्यस्थता करने के बजाए पाकिस्तान को ये कहना चाहिए कि उसने धोखे से कश्मीर के जिस हिस्से को हड़प रखा है, वो भारत को वापस करे.

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करना हमारा अगला एजेंडा है. हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी इस दिशा में काम करेंगे. इसके पहले नरसिम्हाराव की सरकार के वक्त संसद ने एक रिजोल्यूशन पास किया था, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करने का प्रस्ताव रखा गया था.

पीओके पर अब क्या असर पड़ने वाला है?

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करने का एजेंडा तो ठीक है. लेकिन सवाल है कि अनुच्छेद 370 के खत्म हो जाने से पीओके पर क्या असर पड़ेगा? एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एक मतलब क्या ये निकाला जाए कि भारत ने पीओके पर अपना दावा छोड़ दिया है?

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का नए सिरे से पुनर्गठन जरूर हुआ है. लेकिन भारत सरकार ने पीओके पर अपना दावा नहीं छोड़ा है. मंगलवार को संसद को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी हमारा हिस्सा है और वो भारत का आंतरिक भूभाग है.

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 107 सीटें हैं. जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों को खाली रखा जाता है. ये एक तरह से प्रतीकात्मक है, जो ये संदेश देता है कि पीओके के भारत में शामिल होने के बाद उन 24 खाली सीटों को भरा जाएगा.

पाकिस्तान अब भड़काऊ कदम उठा सकता है
कश्मीर के पुनर्गठन के फैसले का बड़ा असर पड़ने वाला है. पीओके इस लिहाज से अहम हो जाता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि दो परमाणु संपन्न देशों के रिश्ते बिगड़ना ठीक नहीं है. लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि दरअसल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देकर दरअसल भारत ने कश्मीर की समस्या ही खत्म कर दी है.

अब कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के साथ बातचीत का मुद्दा खत्म हो गया है. अब एक ही मुद्दा बचा रह गया है, और वो है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का. भारत अब पीओके के मसले पर ही पाकिस्तान के साथ बातचीत को आगे बढ़ा सकता है. क्योंकि कश्मीर के अपने अंदरूनी मसले को भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म करके सुलझा लिया है. हालांकि अब पाकिस्तान हताशा में अटपटे फैसले ले सकता है.

इससे भारत पाकिस्तान के बीच इंडस वाटर ट्रीटी पर असर पड़ सकता है. इस ट्रीटी के मुताबिक कश्मीर में भारत के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को पानी मिलना है. पाकिस्तान इसमें अड़चन पैदा कर सकता है. पाकिस्तान पीओके में आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत को परेशान कर सकता है.

अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करने पर होगी बात
दरअसल आज के दौर में पाकिस्तान कोई मजबूत कदम नहीं उठा सकता. वो प्रोपेगैंडा फैलाकर, आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पाकिस्तान इस मसले को यूनाइटेड नेशन में भी उठा सकता है. लेकिन भारत ने अनुच्छेद 370 हटाकर अपने अंदरुनी मामले में दखल दी है. यूएन सिर्फ दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के उपाय कर सकता है. भारत अब पीओके के मसले पर ज्यादा मुखर होकर अपनी आवाज उठा सकता है.

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पाकिस्तान ने दो हिस्सों में बांट रखा है. जिन्हें आधिकारिक तौर पर वहां आजाद जम्मू कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान के रूप में जाना जाता है. पीओके के मुखिया राष्ट्रपति होते हैं. जबकि प्रधानमंत्री कुछ मंत्रियों के साथ सीईओ के तौर पर जाने जाते हैं. पाकिस्तान कहता है कि पीओके में स्वायत्त विधानसभा है लेकिन हकीकत में पीओके पर पूरी तरह से पाकिस्तान का कब्जा है.

1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से पर कब्जा जमा लिया था. इसकी सीमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, उत्तरपूर्व में अफगानिस्तान, चीन के शीनजियांग और पूर्व में भारत के हिस्से वाले कश्मीर से लगती है.

पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है. यहां 8 जिले में 19 तहसीलें आती हैं. अब इस पूरे इलाके पर भारत अपना फिर से दावा जता सकता है.

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