नई दिल्ली। हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली ”ध्रुवस्त्र हेलीना” मिसाइल जल्द ही सेना को मिलने वाली है। इसके सभी विकास परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं। हेलिना तीसरी पीढ़ी की फायर-एंड-फॉरगेट क्लास एटीजीएम है, जो स्वदेशी उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) पर लगाई जानी है। इसकी न्यूनतम सीमा 500 मीटर और अधिकतम सात किलोमीटर है।

हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली नाग मिसाइल की रेंज बढ़ाकर इसे ”ध्रुवस्त्र हेलीना” का नाम दिया गया है। इसे एचएएल के रुद्र और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों पर ट्विन-ट्यूब स्टब विंग-माउंटेड लॉन्चर से लॉन्च किया जाना है। इसकी संरचना नाग मिसाइल से अलग है। मिसाइल का लॉक ऑन चेक करने के लिए 2011 में पहली बार एक लक्ष्य पर लॉक करके लॉन्च किया गया। उड़ान के दौरान हिट करने के लिए दूसरा लक्ष्य दिया गया, जिसे मिसाइल ने नष्ट कर दिया। इस तरह मिसाइल ने उड़ान में रहते हुए अचानक बदले गए लक्ष्य को मारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। फिर 13 जुलाई, 2015 को एचएएल ने तीन परीक्षण राजस्थान की चांधन फायरिंग रेंज, जैसलमेर में रुद्र हेलीकॉप्टर से किये। मिसाइलों ने सात किलोमीटर की दूरी पर दो लक्ष्य मार गिराने में कामयाबी हासिल की, जबकि एक का निशाना चूक गया।

ध्रुवस्त्र हेलीना मिसाइल का एक और परीक्षण 19 अगस्त, 2018 को पोखरण परीक्षण रेंज में एचएएल एलसीएच से सफलतापूर्वक किया गया। इसके बाद नवम्बर, 2018 में हेलीना के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण पोखरण में ही किया गया। मिसाइल का उन्नत संस्करण 15-20 किमी तक मार करने में सक्षम है। डीआरडीओ और भारतीय सेना ने अधिकतम मिसाइल रेंज और सटीकता की जांच करने के लिए आठ फरवरी , 2019 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से 7-8 किमी की दूरी के साथ हेलिना का परीक्षण किया। ग्राउंड आधारित लांचर से बालासोर (ओडिशा) में 15 से 16 जुलाई, 2020 तक तीन विकासात्मक उड़ान परीक्षण किए गए हैं। अब यह मिसाइल सीधे और शीर्ष हमले के मोड में है, जो नई सुविधाओं के साथ उन्नत है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) में ध्रुवस्त्र हेलीना मिसाइल के परियोजना निदेशक सचिन सूद ने कहा कि हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) हेलीना के सभी विकास परीक्षण पूरे हो गए हैं। अब इसके बाद सेना की ओर से ”आवश्यकता की स्वीकृति” (एओएन) जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लांचर और मिसाइल तैयार हैं और कुछ मानव-मशीन इंटरफेस (एचएमआई) को साकार किया जाना है, जो अभी चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि अभी लागत का अनुमान लगाया जाना बाकी है, फिर भी प्रत्येक मिसाइल की लागत एक करोड़ रुपये से कम होने की उम्मीद है। शुरुआत में लगभग 500 मिसाइलों और 40 लॉन्चरों की आवश्यकता होगी। एओएन जारी होने के बाद प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया जाएगा। बाद के चरण में भारतीय सेना पहले प्रोडक्शन लॉट से कुछ फायरिंग ट्रायल करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वायु सेना में जल्द ही शामिल किए जाने वाले हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) पर हेलीना को एकीकृत किया जाएगा। डॉ. सूद ने कहा कि न्यूनतम सीमा वाले सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है और अन्य हथियारों के साथ एकीकरण पूरा हो गया है।

Show comments
Share.
Exit mobile version