नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद सरपंचों के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर घाटी की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी।

गृह मंत्रालय में शाह के साथ हुई इस मुलाकात में जम्मू कश्मीर और लद्दाख के गांवों के सरंपच शामिल थे। सरपंचों के इस प्रतिनिधिमंडल में तकरीबन एक सौ सदस्य थे। सरपंचों ने शाह से मुलाकात के दौरान अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य के ग्रामीण इलाकों की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि घाटी और दूसरे इलाकों में विकास कार्यों की सख्त जरूरत है। समझा जा रहा है कि प्रतिनिधमंडल ने बैठक में घाटी के लोगों की सरकार से क्या उम्मीदें हैं, इस बाबत भी शाह को जानकारी दी।

शाह से मुलाकात से पहले सरपंचों की बैठक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई। सूत्र बताते हैं कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे विकास योजनाओं के लिए दिया जाने वाला धन सरपंचों तक पहुंचे, ताकि वह गांव की असल समस्या का समाधान कर सकें। साथ ही जम्मू कश्मीर के गांव के सरपंच को गांव के विकास का सीधा भागीदार बनाने की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई। सरपंचों के इस प्रतिनिधिमंडल में जम्मू, पुलवामा, लद्दाख समेत घाटी के दूसरे इलाकों के सरपंच भी शामिल थे।

गत माह पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने और उसे दो केंद्र शासित (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से वहां के सरपंचों के साथ यह शाह की पहली मुलाकात थी। इस मुलाकात के बारे में गृह मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई, किंतु समझा जा रहा कि यह जम्मू कश्मीर के लोगों का सरकार के साथ विश्वास का संबंध स्थापित करने के प्रयास के तहत यह भेंट हुई है।

सरपंचों के साथ हुई बैठक में शाह के अलावा गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह, गृह सचिव एके भल्ला, अपर सचिव ज्ञानेश कुमार भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद सूबे में किसी तरह की हिंसा और उपद्रव की रोकथाम के लिए कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं। धीरे-धीरे उन पाबंदियों को हटाया जा रहा है और स्कूल-कालेज और कार्यालयों में कामकाज शुरू हो गया है।

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