– सरकार की हुई किरकिरी, एक-एक कर जमानत पर छूटते गए सभी आरोपी

गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत के मामले में आई जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफील खान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। बच्चों की मौत के बाद देशभर में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। यह तब और हुई, जब एक-एक करके सभी आरोपियों को आसानी से जमानत मिलती गयी।

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौतों को पहले तो सरकार ने नकारा, लेकिन बढ़ते दबाव पर मेडिकल काॅलेज के तत्कालीन प्राचार्य डाॅ. राजीव मिश्र, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ल, डाॅ. कफील खान, आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी सहित नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। कुछ को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया तो कुछ ने आत्मसमर्पण कर लिया था। करीब आठ महीने से ये लोग जमानत के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे थे, बावजूद इसके याचिका नामंजूर होती जा रही थी। फिर, बीते दिनों आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर करते हुए जमानत दे दी। भंडारी की जमानत के बाद डाॅ. कफील खान की जमानत को भी हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी। धीरे-धीरे सभी आरोपी जमानत पर बाहर आ गए थे।

जेल से चिट्ठी लिखकर सुर्खियों में थे डाॅ. कफील
बाबा राघवदास मेडिकल कालेज ऑक्सीजन कांड के मुख्य आरोपी डॉ. कफील खान ने जेल से करीब दस पन्नों की चिट्ठी लिखकर सनसनी पैदा कर दी थी। डाॅ. कफील खान की चिट्ठी ने प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा किया था। जेल में मिलने गई पत्नी डाॅ. शाबिस्ता खान को डाॅ. कफील ने यह पत्र सौंपा था जिसे परिजनों ने जारी किया था। उन्होंने चिट्ठी में साफ तौर पर कहा था कि आक्सीजन कांड में प्रशासनिक लापरवाही को छुपाने के लिए उन्हें सलाखों के पीछे धकेला गया है। 10 पेज के इस पत्र के पांचवें पेज पर डाॅ. कफील ने लिखा था कि मेरी जिन्दगी में उथल-पुथल उस वक्त शुरू हुई, जब 13 अगस्त की सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अस्पताल पहुंचे। बकौल कफील, उन्होंने कहा कि तुम हो डॉक्टर कफील जिसने सिलेंडरों की व्यवस्था की। मैंने कहा, हां सर। फिर वह नाराज हो गए और कहने लगे कि तुम्हें लगता है कि सिलेंडरों की व्यवस्था कर देने से तुम हीरो बन गए। फिर बोले कि मैं देखता हूं इसे।

डाॅ. कफील ने पत्र में लिखा कि योगी जी नाराज थे क्योंकि यह खबर किसी तरह मीडिया तक पहुंच गयी थी। लेकिन मैं अपने अल्लाह की कसम खाकर कहता हूं कि मैंने उस रात तक इस सम्बन्ध में किसी मीडियाकर्मी से कोई बात नहीं की थी। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया था कि इसके बाद पुलिस ने उनके घर पर आना शुरू कर दिया था। फिर, धमकी देना, उनके परिवार को डराना शुरू हुआ। उन्हें यह चेतावनी भी दी गई कि उनका एनकाउंटर कर दिया जायेगा। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के लिए खुद को सरेंडर कर दिया था।

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