– प्रतिनिधिमंडल ने कहा, यूरोपीय संसद में अपने कश्मीर दौरे की रिपोर्ट पेश नहीं करेंगे
– आतंकवाद केवल भारत का मुद्दा नहीं है कि बल्कि पूरे विश्व का मसला
– जमीनी हालात जानने के बाद बोले, यह भारत का आंतरिक मामला
– इस दौरे को राजनीतिक चश्मे से देखा जाना बिल्कुल ठीक नहीं

श्रीनगर। कश्मीर घाटी के जमीनी हालात जानने दो दिवसीय दौरे पर आए यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों ने बुधवार को कश्मीर के हालात पर संतुष्टि जताते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह भारत के साथ हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद केवल भारत का मुद्दा नहीं है कि बल्कि पूरे विश्व का मसला है।

दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को कश्मीर घाटी पहुंचे यूरोपियन यूनियन (ईयू) सांसदों के दल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि भारत एक शांत देश है और कश्मीर के लोगों को भारत से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि उनके इस दौरे को राजनीतिक चश्मे से देखा जाना बिल्कुल ठीक नहीं है। हम सिर्फ यहां हालात का जायजा लेने आए हैं। अनुच्छेद-370 व 35ए को जम्मू-कश्मीर से हटाए जाने पर सांसदों ने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है। हमें पूरा विश्वास है कि इसके बाद कश्मीर में शांति व विकास का दौर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान को शांति स्थापित करनी है तो दोनों देशों को आपस में बातचीत करनी होगी। सांसदों ने कहा कि इस दौरे के दौरान हमें कश्मीर घाटी में रहने का ज्यादा समय नहीं मिला और इस दौरान हम ज्यादा लोगों ने नहीं मिल पाए।

यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने आतंकवाद के मसले पर भारत का समर्थन करते हुए कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं। इसी बीच उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह यूरोपीय संसद में अपने कश्मीर दौरे की रिपोर्ट पेश नहीं करेंगे। इस दौरान ईयू के सांसदों ने असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर कहा कि हम लोग नाजीवादी नहीं, शांति वार्ता के पक्ष में हैं। अगर हम ऐसे होते तो हमें कभी नहीं चुना जाता। उन्होंने नाजी शब्द के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई। बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने सांसदों की तुलना नाज़ी लवर्स से करते हुए उन पर निशाना साधा था।

यूरोपीय संसद के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को श्रीनगर पहुंचा था। आज यानि बुधवार को उनका कश्मीर घाटी में दूसरा दिन है। इस दौरे के दौरान वह नियंत्रण रेखा पर गए और जमीनी हकीकत का जायजा लिया और कई अन्य लोगों से मुलाकात की। इससे पहले मंगलवार को वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक, प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों व हाल ही में चुने गए ब्लाक विकास परिषद के सदस्य व सरपंचों से मिले थे। इसके साथ ही इस दल ने डल झील की सैर भी की थी जिसके बाद उन्होंने प्रेस वार्ता करके अपने इस दौरे के बारे में मीडिया को जानकारी दी।

यूरोपीय संघ के सांसदों के कश्मीर दौरे पर उठ रहे सवाल के बीच यूरोपीय संघ के एक सांसद निकोलस फेस्ट ने अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार को भारत के विपक्षी दलों के नेताओं को भी कश्मीर में जाने की इजाजत देनी चाहिए। निकोलस फेस्ट ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर आप यूरोपीय संघ के सांसदों को कश्मीर जाने देते हैं, तो आपको भारत के विपक्षी राजनेताओं को भी जाने देना चाहिए। सरकार को किसी तरह से इसका समाधान करना चाहिए।

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