– करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले में गिरफ्तारी के लिए दिवाली से पहले दी गई थी दबिश
मेरठ। करोड़ों रुपये की जमीन का फर्जी बैनामा करके फंसे बसपा के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी व उनके बेटे इमरान पर गिरफ्तारी की तलवार लटकनी शुरू हो गई है। दिवाली से पूर्व पिता- पुत्र की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई थी लेकिन वे मिल नहीं पाए थे। दीपावली त्योहार के बीच पर्याप्त पुलिस बल न होने से पुलिस प्रशासन कोई रिस्क नहीं लेना चाहता लेकिन त्योहार निपटते ही कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। एसएसपी अजय कुमार साहनी का भी कहना है कि त्योहार के बाद उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।
हाजीपुर गांव निवासी मुजम्मिल ने बसपा के पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी और उनके बेटे इमरान के खिलाफ धोखाधड़ी व जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। मुजम्मिल ने बताया कि हापुड़ रोड स्थित ढीकोली गांव में उनकी 4050 मीटर जमीन थी। 2002 में उनकी मां मीरा उर्फ मिजा की मौत के बाद यह जमीन मुजम्मिल व उसके भाई यामीन, मुस्तकीम, व नवाब के नाम कर दी गई। मुजम्मिल ने आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी व उसके बेटे इमरान ने बड़ी चालाकी से धोखाधड़ी करके जमीन का फर्जी बैनामा करवाकर जमीन को अपने नाम करवा लिया और उसे जान से मारने की धमकी देने लगा।
आरोप है कि मलिकाना हक पाने के लिए मुजम्मिल अपनी जमीन पर पहुंचा तो याकूब कुरैशी और उनके बेटे इमरान ने उस पर गोलियां बरसा दी जिससे वे बाल-बाल बच गया। मुजेम्मिल की शिकायत पर पुलिस अधिकारियों ने जांच पड़ताल की ओर खरखोदा थाने में पूर्व बसपा नेता याकूब व उनके बेटे इमरान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।
सीईओ किठौर आलोक सिंह के मुताबिक अवैध तरीके से कब्जा की गई जमीन को मुक्त करा लिया गया है। दोनों पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के लिए दिवाली से पूर्व दबिश दी गई थी लेकिन वह मिल नहीं पाए। दूसरी ओर बसपा नेता की मीट एक्सपोर्ट फैक्ट्री पर चल रहे अवैध निर्माण को भी पुलिस ने रुकवा दिया है।
हाजी याकूब कुरेशी मेरठ के बड़े मीट कारोबारियों में से एक हैं। याकूब कुरैशी ने 1999 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। इसके बाद 2002 में याकूब कुरैशी बसपा से विधायक बने और विधायक रहते हुए वह 2003 में सपा में शामिल हो गए। मुलायम सिंह यादव ने उन्हें मंत्री बनाया। मंत्री रहते हुए उन्होंने सपा के दिग्गज नेता आजम खान के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया। 2007 में उन्होंने मेरठ शहर सीट से यूपीयूडीएफ के बैनर तले चुनाव लड़ा था और वह चुनाव जीत गए थे। उसके बाद बसपा ज्वाइन की। बसपा से उन्हें टिकट ना मिल पाने के कारण 2012 में उन्होंने फिर सरधना विधानसभा सीट से रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वे उसमे भी हार गए थे। उसके बाद उन्होंने दोबारा बसपा ज्वाइन की। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें मेरठ संसदीय सीट से मैदान में उतारा लेकिन वे उसमें भी कामयाब ना हो पाए और चुनाव हार गए।