नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और सऊदी अरब जैसी एशियाई शक्तियां अपने पड़ोस से जुड़ी समान सुरक्षा चिंताओं को साझा करती हैं। दोनों देशों का सहयोग विशेष रूप से आतंकवाद के खात्मे और सुरक्षा व सामरिक मुद्दों के क्षेत्र में बहुत अच्छी प्रगति कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने अपनी सऊदी अरब की यात्रा के दौरान अरब न्यूज़ को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी परिषद समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही मजबूत संबंध और दृढ़ होंगे। तीन वर्षों में यह प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब की यह दूसरी यात्रा है।

पश्चिम एशिया के कई क्षेत्रों में उथल-पुथल के प्रश्‍न पर प्रधानमंत्री ने एक दूसरे के आंतरिक मामलों में संप्रभुता और गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए इन संघर्षों को एक संतुलित दृष्टिकोण के माध्‍यम से हल करने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों को साझा करता है और इस क्षेत्र में आठ मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी निवास करते हैं। इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा लाने के लिए सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ एक महत्वपूर्ण संवाद को प्रोत्‍साहन की प्रक्रिया आवश्‍यक है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तेल के स्थिर मूल्‍य वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति और एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में अहम भूमिका निभाने के लिए सऊदी अरब प्रशंसा की।

भारत के सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता, सऊदी अरब के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा संबंध पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने कच्चे तेल का लगभग 18 प्रतिशत सऊदी अरब से आयात करता है, यह हमारे लिए कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। विशुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता संबंध से, अब हम एक करीबी रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें डाउनस्ट्रीम तेल और गैस परियोजनाओं में सऊदी अरब में निवेश शामिल होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पड़ोस सर्वप्रथम’ उनकी सरकार की विदेश नीति का हिस्सा है। सऊदी अरब के साथ भारत के संबंध हमारे विस्तारित पड़ोस के सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं। उनकी यात्रा से सभी क्षेत्रों में सहयोग के एक नए युग शुभांरभ होगा। व्यापार, निवेश, सुरक्षा और रक्षा सहयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंध न सिर्फ मजबूत बल्कि गहरे और दृढ़ हुए हैं।

वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपने दृष्टिकोण का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत जैसे बड़े विकासशील देशों के द्वारा अपनाए गए मार्ग पर वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण निर्भर है। जैसा कि सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्होंने उल्लेख किया था कि सभी के विश्वास के सर्वांगीण विकास हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक अनिश्चितता असंतुलित बहुपक्षीय व्यापार प्रणालियों का परिणाम है। जी-20 के अंतर्गत, भारत और सऊदी अरब असमानता को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्‍त रूप से कार्य कर रहे हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्‍नता हुई है कि सऊदी अरब अगले वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा और भारत 2022 में अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इसकी मेजबानी करेगा।

पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में वर्तमान मंदी और इस परिदृश्य में, भारत और सऊदी अरब की भूमिका के प्रश्‍न पर, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने और वैश्विक विकास एवं स्थिरता को सुनिश्चित करने में एक महत्‍वपूर्ण संचालक बनने की दिशा में कई सुधार किए हैं।

भारत सरकार द्वारा घोषित व्‍यापक स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में सऊदी अरब की भागीदारी के प्रश्‍न पर

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश भी शामिल है। फरवरी 2019 में अपनी भारत यात्रा के दौरान, क्राउन प्रिंस ने भारत के सभी क्षेत्रों में 100 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी। उन्‍होंने कहा कि भारत अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिक से अधिक सऊदी निवेश का स्वागत करते हैं, जिसमें स्मार्ट सिटीज़ कार्यक्रम भी शामिल है। हम राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचे कोष में निवेश करने में सऊदी की इच्‍छा का भी स्वागत करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य प्रमुख पहलों में सऊदी अरब में रूपे कार्ड का शुभांरभ करना जो प्रवासी भारतीय समुदाय को भुगतान और प्रेषण की सुविधा प्रदान करेगा, इसके अलावा ई-माइग्रेट और ई-तौसीक पोर्टल्स का एकीकरण, जो सऊदी अरब में भारतीय श्रमिकों के प्रवास की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा और हमारी अकादमियों में राजनयिकों के प्रशिक्षण पर एक भी समझौता इस प्रस्ताव में शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की स्थापना होने की उम्मीद है। ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद सऊदी अरब के साथ रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की स्‍थापना करने वाला भारत चौथा देश होगा।

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