– सीजेआई ने कहा- न्याय कभी भी जल्दबाजी में नहीं हो सकता
जोधपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि न्याय प्रणाली बहुत महंगी हो गई है। हमें सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा कि सभी व्यक्तियों तक सस्ता न्याय सुलभ हो सके।
राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को जोधपुर हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि सत्य ही हमारे गणतंत्र का आधार है। संविधान ने सत्य की रक्षा करने का महत्वपूर्ण दायित्व न्यायपालिका को सौंपी है। ऐसे में न्यायपालिका की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हमारे देश में पुराने दौर में राजा-महाराजाओं से न्याय मांगने के लिए कोई भी व्यक्ति उनके निवास के बाहर लगी घंटी को बजा सकता था और उसे न्याय मिलता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। देश के किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक को सस्ता न्याय सुलभ हो, इस दिशा में सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि जोधपुर हाईकोर्ट का नया भवन बहुत बेहतरीन बनकर तैयार हुआ है। प्रदेश की ऐतिहासिक इमारतों में इसका नाम भी शामिल हो गया है। जोधपुर में बार व बेंच की बहुत समृद्ध परम्परा रही है। इस परम्परा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी अब युवा पीढ़ी की है। उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायधीशों से आग्रह किया कि यहां दिए जाने वाले फैसलों की जानकारी हिन्दी में भी उपलब्ध कराए जाएं। तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों की जानकारी नौ भाषाओं में उपलब्ध करवा रहा है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाने पर सरकार गंभीर : रविशंकर प्रसाद
इस अवसर पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि समाज के प्रतिभाशाली लोगों को न्यायपालिका के क्षेत्र में आना चाहिए। देशभर की प्रतिभाओं को न्यायिक क्षेत्र में समान अवसर मिले इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर न्यायिक अधिकारियों की भर्ती होनी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से परीक्षा आयोजित करवाई जा सकती है। वकील कोटे से हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने की जिम्मेदारी कॉलेजियम की है, लेकिन उन्हें ऐसे लोगों के बारे में सोचना होगा जिनके परिवार से पहले कोई वकील नहीं रहा। कई ऐसे प्रतिभाशाली लोग हैं जिनके माता-पिता ने तिनका-तिनका जोड़ कर उन्हें यहां तक पहुंचाया है।
प्रसाद ने कहा कि देशभर में फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाने को लेकर सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। राजस्थान में इस दिशा में बेहतरीन काम हुआ है। महिलाओं से जुड़े मामलों के त्वरित निस्तारण की दिशा में सभी को विचार करना चाहिए। केंद्र सरकार से किसी मदद की दरकार है तो पूरा सहयोग दिया जाएगा।
बदला लेना न्याय का चरित्र नहीं : सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजीआई) एसए बोबड़े ने हैदराबाद मुठभेड़ का जिक्र किये बिना कहा कि बदला लेना न्याय का चरित्र नहीं है और न्याय कभी भी जल्दबाजी में नहीं हो सकता। न्याय मिलने की एक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में मुकदमों की संख्या को मध्यस्थ के जरिये सुलझा कर काफी हद तक कम किया जा सकता है। हम सभी को इस बारे में मिलकर विचार करना होगा। मध्यस्थता केस के कोर्ट में पहुंचने से पहले होनी चाहिए। इसके लिए देश के सभी जिलों में इस तरह के केंद्र खुलने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि देश के सभी लॉ कॉलेजों में मध्यस्थता को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा करने से लोगों को त्वरित न्याय मिल सकेगा।