चंडीगढ़। मनोहर लाल ने बेशक हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की दूसरी बार शपथ ले ली है, लेकिन मंत्रिपरिषद के गठन में भाजपा के दिग्गज नेता अनिल विज के कारण विलंब हो रहा है। विज ने मनचाहा विभाग पाने के लिए मनोहर लाल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसके चलते मनोहर लाल ने गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया है। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व ही तय करेगा कि राज्य मंत्रिपरिषद में किसको शामिल जाए।
भाजपा के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अनिल विज के कारण ही रविवार को मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के साथ अन्य मंत्रियों का शपथ ग्रहण नहीं हो सका। अनिल विज वरिष्ठता का हवाला देकर खुद के लिए डिप्टी सीएम का पद तथा गृह मंत्रालय अथवा कोई अन्य हैवीवेट विभाग मांग रहे हैं, जबकि भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन इससे इनकार कर चुके हैं। डॉ. जैन ने रविवार को मीडिया से बातचीत में यह साफ कर दिया कि प्रदेश में एक ही डिप्टी सीएम होगा। उल्लेखनीय है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल विज अंबाला विधानसभा सीट से छठी बार जीते हैं।
सूत्रों का कहना है कि मनचाहा मंत्रालय पाने के लिए अनिल विज ने ‘दिल्ली दरबार’ में लॉबिंग कर दी है। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा में भाजपा की साख बचाने वाले बनवारी लाल भी हैवीवेट मंत्रालय की मांग रहे हैं। पिछले सरकार में मंत्री बनने की दहलीज से लौटे पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता ने भी आरएसएस में अपने संबंधों के बल पर मुख्यमंत्री पर इस बात के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि उन्हें मंत्रिपरिषद में अहम स्थान दिया जाए।
मनोहर लाल के समक्ष बड़ी दिक्कत मंत्री बनाते समय जातिगत समीकरणों और वरिष्ठता का ख्याल रखने की है। विधायकों के बढ़ते दबाव के चलते मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर गेंद ‘दिल्ली दरबार’ के पाले में डाल दी है।
90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक हैं। भाजपा ने जजपा के 10 विधायकों के समर्थन सरकार बनायी है। सरकार को कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। रविवार को मनोहर लाल मुख्यमंत्री और जजपा के दुष्यंत चौटाला उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। जजपा के साथ हुए समझौते के अनुसार जजपा कोटे से डिप्टी सीएम के अलावा दो और मंत्री बनाए जाएंगे, जबकि भाजपा कोटे से सीएम के अलावा 11 और मंत्री बनेंगे।

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