मंगलवार को लोकसभा में हुई बैठक में वित्तमंत्री ने कहा की अगर अगली जीएसटी परिषद बैठक में पेट्रोल एवं डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने की बात लाई जाती है, तो वह उस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं| बता दे की अगर जीएसटी कौंसिल बैठक की चर्चा में पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में लाने की बात की गई तो को पेट्रोल की कीमत एक झटके में घटकर 47 रुपये लीटर तक हो जाएगी| हालांकि इस बात पर अभी सहमति होना बाकी है और वो आसान नहीं|

हाल ही में जारी SBI की ईकोरैप रिपोर्ट में बताया गया था कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इससे केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई में सिर्फ 1 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आएगी, जो कि GDP का सिर्फ 0.4 फीसदी है| दरअसल पेट्रोल और डीजल केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं, जिसकी वजह से सरकारें इसे जीएसटी के दायरे में लाने से हिचक रही हैं क्योंकि ऐसा करने से कुछ राज्यों को नुकसान उठाना पड़ सकता है|

1 लीटर पेट्रोल में सरकार का हिस्सा कितना 

जब पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये लीटर थी तो इसमें बेस कीमत 33.26 रुपये प्रति लीटर थी, इसके बाद इस पर 28 पैसे का भाड़ा जोड़कर 33.54 रुपये में पेट्रोल डीलर को मिलता था| फिर इस पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपये प्रति लीटर की लगती थी और 3.69 रुपये डीलर का कमीशन होता था| और यही नहीं इसके बाद राज्य सरकार वैट नहीं इसमें जुड़ता था| और तब 1 लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य का टैक्स मिलकर कुल करीब 54 रुपये होते थे|

 

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