कानपुर। कानपुर देहात के राजपुर थाना क्षेत्र की निवासी एक नाबालिग किशोरी ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की. किशोरी को उपचार के लिए कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है. राजपुर के थाना प्रभारी पर लड़की के साथ गलत हरकत करने का आरोप लगाते हुए उसकी मां ने कहा कि किशोरी को एक मामले की जांच के लिए थाने बुलाया गया था.
जानकारी के मुताबिक 14 साल की नाबालिग ने जहर खा लिया. उसे उपचार के लिए हैलट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. जहर खाकर जान देने की कोशिश करने वाली किशोरी की मां ने थानेदार पर उसे परेशान करने का आरोप लगाया और कहा कि थानेदार कई दिन से बेटी को फोन कर थाने बुला रहा था. रविवार को ही बेटी थाने गई थी जहां थानेदार ने उसके साथ अभद्रता की.
किशोरी की मां का आरोप है कि थानेदार ने बेटी के साथ ऐसी हरकत कर दी कि उसने घर आकर जहर खा लिया. पुलिस अधिकारी अब सफाई दे रहे हैं कि लड़की से थाने में सीसीटीवी के सामने पूछताछ की गई थी. किशोरी की मां ने राजपुर थाने के थानेदार विनोद पर कई दिन से अपनी लड़की को परेशान करने का गंभीर आरोप लगाया और कहा कि वे उसे थाने बुलाकर अकेले में पूछताछ करते थे. रविवार को थानेदार ने लड़की का मोबाइल मांगा. लड़की ने नहीं दिया तो थानेदार ने उसकी कॉलर पकड़कर उससे छिन लिया.
महिला के मुताबिक किशोरी पूरे रास्ते यही रटते आई कि मेरे साथ आजतक किसी ने ऐसा नहीं किया है. उसने घर आकर जहर खा लिया. वहीं, अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि 24 घंटे से बच्ची की बॉडी में कोई हरकत नहीं हुई है. कानपुर देहात के एडिशनल एसपी घनश्याम चौरसिया ने इस मामले पर बयान जारी कर कहा है कि लड़की को एक सैनिक की पत्नी की फेसबुक आईडी की जांच के मामले में थाने बुलाया गया था. उसके साथ लेडीज सिपाही के सामने पूछताछ हुई. उससे फोन मांगा गया था लेकिन जब उसने फोन नहीं दिया तो उसे घर भेज दिया गया था.
वेंटिलेटर पर है किशोरी
उन्होंने कहा कि शाम के समय पता चला कि उसने जहर खा लिया है और उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस मामले की जांच कराई जा रही है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. दूसरी तरफ, कानपुर शहर के हैलट अस्पताल में भर्ती लड़की को वेंटिलेटर पर रखा गया है. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि तीन दिन से थानेदार लड़की को ही क्यों फोन कर रहा था. वह उसके मां-बाप को भी फोन कर सकता था. इस मामले की जांच खुद थानेदार क्यों कर रहे थे, इसकी जांच किसी महिला अधिकारी को क्यों नहीं दी गई.