-तिपहिया व भारी वाहनों के परीक्षण की रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने का आदेश
-कोर्ट ने कहा, ऑड-ईवन से मध्यवर्ग प्रभावित, दिल्ली सरकार खोजे स्थायी समाधान
-ऑड-ईवन के इतर एयर प्यूरीफायर टावर अपनाने के निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने पर पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली के मुख्य सचिवों को एक बार फिर तलब किया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुख्य सच 29 नवम्बर को पेश होने का आदेश दिया।
कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) को निर्देश दिया कि वो तिपहिया वाहनों, ट्रकों और दूसरे वाहनों का औचक परीक्षण करें और एक हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने डीडीए, पीडब्ल्यूडी और नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे मॉनिटरिंग कमेटी का कोर्ट के आदेशों के मुताबिक सहयोग करें।
वायु प्रदूषण नियंत्रित करने का उपाय नहीं हो सकता ‘ऑड-ईवन’ : सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऑड-ईवन से केवल मध्यवर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। बड़े लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं है क्योंकि उनके पास एक से ज्यादा गाड़ियां हैं। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऑड ईवन से प्रदूषण पर 5 से 15 फीसदी तक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ छूट जैसे दोपहिया वाहनों को छूट नहीं दी जाए तो प्रदूषण में कमी आ सकती है लेकिन तब पूरी दिल्ली खड़ी हो जाएगी। जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि उन शहरों में जहां ऑड-ईवन लागू हैं, वहां कोई छूट नहीं दी जाती है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा कि हम केवल ये पूछना चाहते हैं कि इन दिनों में उसका क्या असर होगा, हमारा सवाल केवल यही है। तब रोहतगी ने कहा कि इन दिनों प्रदूषण की मुख्य वजह पराली जलाना है लेकिन हम किसी पर ठीकरा नहीं फोड़ना चाहते हैं। तब कोर्ट ने कहा कि सैटेलाइट से उन स्थानों का पता करें जहां पराली जलाया जा रहा है। आप हमें वहां की तस्वीरें दीजिए। क्या हमारे पहले के आदेश का पालन हुआ है।
ऑड-ईवन से कोई फायदा नहीं : सीपीसीबी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि ऑड-ईवन पर पिछले साल भी अध्ययन किया गया था उसका ज़्यादा प्रभाव नहीं हुआ। बोर्ड ने कहा कि कारों से केवल तीन फीसदी प्रदूषण होता है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में एक्यूआई ठीक था, जबकि ऑड ईवन नहीं था। इस पर दिल्ली सरकार ने ऑड ईवन के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि इस साल ऑड ईवन की वजह से एक्युआई और भी बेहतर है। कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन प्रदूषण से निपटने का कोई स्थायी समाधान नहीं है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करके इस समस्या से निपटा जा सकता है, पर उसे लेकर कुछ काम नहीं हुआ है।
कोर्ट ने पूछा- क्या किसानों को दिया जा रहा आदेश के मुताबिक मुआवजा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि पराली जलाना जब तक पूरे तरीके से बंद नहीं होगा तब तक प्रदूषण में कमी नहीं होगी। जैसे ही हवा चलेगी प्रदूषण कम हो जाएगा। इस पर कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि क्या हमारे पहले के आदेश के मुताबिक किसानों को मुआवजा दिया गया। मॉनिटरिंग की क्या स्थिति है। तब पंजाब सरकार ने कुहा कि किसानों को 90 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। मॉनिटरिंग की गई है। पिछले आदेश के बाद काफी काम किया गया है।
एयर प्यूरीफायर टावर को अपनाएं : सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का आंकड़ा पेश किया। तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एयर क्लीनिंग डिवाइस को लगाने के लिए कितना समय लगेगा? चीन ने कैसे किया? कोर्ट में आईआईटी बाम्बे के विशेषज्ञ नाडकर्णी ने बताया कि हमारे यहां एक किमी. वाला डिवाइस ‘वायु’ कुछ इलाकों में लगाया गया है। चीन में 10 किलोमीटर तक कवर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप छोटे इलाके को क्यों कवर करना चाहते हैं। तब नाडकर्णी ने कहा कि पूरी दिल्ली में एयर प्यूरिफिकेशन टावर लगाने में आठ महीने लगेंगे। ये टावर 65 फीसदी प्रदूषण कम करेंगे।
वायु प्रदूषण पर स्टडी के बाद रिपोर्ट देगी केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस समय दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 600 को पार कर गया है। घर के कमरों में भी ऐसी ही स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण से हर कोई प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार ने कहा कि वायु प्रदूषण को लेकर एक साल की स्टडी की जरूरत पड़ेगी। कोर्ट ने कहा कि इतना समय? केंद्र ने कहा वो कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समय दिया।
पिछले छह नवम्बर को कोर्ट ने केंद्र, पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने तीनों राज्यों से कहा था कि किसानों को प्रति क्विंटल पराली पर सौ रुपये दीजिए ताकि वे पराली नहीं जलाएं।