नई दिल्ली। केरल इस समय कोरोना के महासंकट से जूझ रहा है. लगातार सक्रिय मरीज बढ़ते जा रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी डरा रहा है.अब इस कोरोना खतरे के बीच केरल के सामने निपाह वायरस की चुनौती आ गई है. रविवार को एक 12 साल के बच्चे ने इस वायरस की वजह से अपना दम तोड़ दिया है. ये वायरस मलेशिया, सिंगापुर  और बांग्लादेश में अपना कहर पहले ही दिखा चुका है. अब भारत में भी पहली मौत हो गई है.

केरल सरकार ने जानकारी दी है कि जिस इलाके में निपाह की वजह से 12 वर्षीय बच्चे की मौत हुई है, वहां पर तीन किलोमीटर के दायरे तक लॉकडाउन लगा दिया गया है. वहीं अभी के लिए सरकार ने इस वायरस के केरल में 188 प्राइमरी कॉन्टैक्ट भी ढूंढ निकाले हैं.

कोरोना की तरह निपाह वायरस भी काफी तेजी से फैलता है. ये चमगादड़ या फिर सूअर के जरिए इंसानों में आ सकता है. खतरे की बात ये है कि एक संक्रमित इंसान निपाह वायरस को कई दूसरे लोगों तक पहुंचा जा सकता है. मतलब एक की वजह से कई दूसरे लोग भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.

निपाह वायरस क्या है, कैसे फैलता है?

निपाह वायरस एक नया वायरस है जो जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है. इसका सबसे पहला मामला मलेशिया में पाया गया था. इसके बाद सिंगापुर और बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले दर्ज किए गए. ये वायरस चमगादड़ों और सूअर के जरिए इंसानों तक फैलता है.

वहीं अगर इस वायरस से संक्रमित कोई चमगादड़ या सूअर किसी फल का सेवन करता है, तो उस फल के जरिए भी निपाह वायरस का प्रसार इंसानों में हो सकता है. वहीं अगर किसी शख्स की निपाह वायरस की वजह से जान गई, तो उस परिवार के दूसरे सदस्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में किसी भी निपाह संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते समय जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी. ये वायरस इतना खतरनाक बताया गया है कि इससे किसी की जान भी जा सकती है.

निपाह वायरस के लक्षण क्या हैं?

अगर कोई भी शख्स निपाह वायरस से संक्रमित होगा तो उसमें तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ,गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे. वहीं अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है.

निपाह वायरस के लक्षण किसी भी इंसान में 5 से 14 दिन के भीतर दिख सकते हैं. लेकिन कुछ मामलों में ये 45 दिनों तक खिंच सकता है. ये वायरस से जुड़ा सबसे खतरनाक पहलू है क्योंकि आपको पता भी नहीं चलेगा और आप कई दूसरे लोगों को इस वायरस से संक्रमित कर देंगे. कुछ मामले ऐसे भी हो सकते हैं जहां पर व्यक्ति निपाह से संक्रमित हो, लेकिन उसमें कोई लक्षण दिखाई ना पड़े.

कैसे पकड़ में आएगा निपाह वायरस?

अगर आपको शक है कि आप इस वायरस के संपर्क में आए हैं तो इसका एक RT-PCR टेस्ट करवाया जा सकता है. इसके अलावा PCR, सीरम न्यूट्रिलाइजेशन टेस्ट और एलाइज़ा टेस्ट के जरिए इस वायरस की पहचान की जा सकती है.

निपाह वायरस का इलाज क्या है? 

निपाह वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है. एक बार के लिए Ribavirin ड्रग को इस वायरस के खिलाफ असरदार माना गया है. लेकिन अभी तक उस ड्रग को भी सिर्फ लैबोरेट्री में टेस्ट किया गया है. इंसानों पर इस ड्रग का कितना असर रहेगा, ये साफ नहीं है. वहीं साल 2020 में निपाह वायरस से लड़ने के लिए एक वैक्सीन पर काम शुरू किया गया. पहले चरण का ट्रायल शुरू भी हो चुका है जो इसी महीने खत्म होने की संभावना है.

सावधानी क्या बरतनी है?

अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं, मास्क लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें. वहीं अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क साधें.

Show comments
Share.
Exit mobile version