रामगढ़। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे ने कहा कि मोदी सरकार कोल इंडिया को बेच देना चाहती है। इसी उद्देश्य से सरकार ने कोल इंडिया में विदेशी पूंजी निवेश की योजना तैयार कर रखी है। उनकी यह योजना हमारी लाश पर पूरी होगी। चंद्रशेखर शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण आज पूरा देश बर्बादी के कगार पर है। ऑल इंडिया और पब्लिक सेक्टर की कंपनियां देश के विकास में बेहतर भूमिका निभा चुकी हैं। यह सपना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का था। आज उनके सारे सपनों को वर्तमान सरकार कुचलने में लगी हुई है। मजदूरों का हक और हुकूक अगर नहीं मिला तो हम सरकार को कोल इंडिया में कोई बदलाव नहीं लाने देंगे।

उन्होंने कहा कि पूरे कोयलांचल में कोयले का भंडार पड़ा हुआ है। इन क्षेत्रों में काम करने वाली कोल इंडिया अरबों निवेश कर काम कर रही है, लेकिन अब इसे बर्बाद करने पर सरकार तुली हुई है। सरकार ने बहाली बंद कर दी गई है। ना तो प्रोजेक्ट ऑफिसर हैं, ना सिविल ऑफिसर हैं, और ना ही मजदूर सेक्टर के वर्कर्स की बहाली हो रही है। ऐसी स्थिति में आउटसोर्सिंग से काम लिया जा रहा है। मजदूरों को भी उनका हक नहीं मिल रहा है। मजदूरों के हक के लिए इंटक कभी पीछे नहीं हटेगा। सरकार की गलत नीतियों की वजह से कोल इंडिया के अलावा सेल, भेल और औद्योगिक घरानों को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

सबसे बुरी स्थिति तो कोल इंडिया में विस्थापितों की है। विस्थापित ही माइंस का असली मालिक है। क्योंकि वह अपने खेत में कोयले का उत्पादन करने दे रहा है। लेकिन उसके बदले में जो उसे नौकरी मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल रही है। यही वजह है कि जहां एक समय कोल इंडिया में 7. 5 लाख मजदूर काम किया करते थे। आज उनकी संख्या घट कर साढे तीन लाख हो गई है। इससे ठीक उल्टा आउटसोर्सिंग में काम कर रहे मजदूरों की संख्या लगभग 15 लाख हो गई है। सरकार की नीतियों के खिलाफ 24 सितंबर से सभी पांच यूनियन के सदस्य पूरी तरीके से हड़ताल पर चले जाएंगे। इंटक के साथ एचएमएस, एआईटीयूसी, सीआईटीयू और एआईसीसीटीयू एक साथ हड़ताल पर जाने वाली है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया ने 16 और 17 तारीख को सभी यूनियन के प्रतिनिधिमंडल को इस हड़ताल के मद्देनजर वार्ता करने के लिए बुलाया है। लेकिन उस वार्ता में भी तब तक समझौता नहीं होगा जब तक विदेशी पूंजी निवेश की नीति को वापस नहीं लिया जाता है।

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