गिरीडीह। झारखंड के 65000 पारा शिक्षकों में काफी आक्रोश का माहौल है। लगातार पारा शिक्षक हर सरकार से ठगे जा रहे है। इसी क्रम में गिरिडीह जिला के महासचिव सुखदेव हाजरा ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि यदि हम लोगों का वेतनमान और स्थायीकरण नहीं दिया गया तो हम लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

उन्होंने अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि, “समाज और राष्ट्र को ज्ञान की रौशनी से उजाला करने वाले झुग्गी झोपड़ी के लाल पारा शिक्षकों की मर्यादा को कुचल देने का काम लोकतन्त्र विरोधी ताकतों के माफिया पिछले 18 साल से कर रहे और वेतनमान को ढकने में शर्म नहीं कर रहे हैं।”

वहीं उन्होंने मीडिया के तरफ भी अपनी नाराजगी जाहीर करते हुए कहा कि, एक तरफ कभी इलेक्ट्रोनिक मीडिया, या फिर प्रिंट मीडिया सरकार के तरफ से वेतनमान का तोहफा देने वाली बात पर सरकार की तारीफ कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पारा शिक्षकों को हतोत्साहित करने वाले समाचार प्रकाशन से पूरे  पारा शिक्षक संघ में दहशत की स्थिति पैदा हो जा रही है। ऐसी हरकत से पारा शिक्षकों की जिन्दगी नरक बनती जा रही है।

सरकार से सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर क्या सच्चाई है सरकार को स्पष्ट करते हुए वेतनमान में आ रही पेंच, अड़चन का भी खुलासा करना चाहिए और इस तरह डेट पर डेट देकर 15 अगस्त को तोहफा देंगे, 10 दिन के बाद नियमावली पारित हो जाएगी, एक सप्ताह में ड्राफ्टिंग कॉपी संगठन को सौंप देंगे, दुर्गापूजा में बंपर तोहफा देंगे फिर मुख्यमंत्री जी बाहर चले जाने पर हमलोग आपस में निर्णय नहीं ले पाए हैं, तो फिर दिवाली या स्थापना दिवस 15 नवंबर तक निश्चित रूप से लागू करवा लेंगे ऐसी हरकत सरकार को बंद करनी चाहिए वरना गुड़ियों का खेल खेलना हमें भी आता है। हमने पहले ही भविष्यवाणी कर दिया है कि कलेजा वाला मुख्यमंत्री ही पारा शिक्षकों का स्थाई समाधान कर सकते हैं। शिक्षा मंत्री भी टाईगर कहलाने वाले झारखंड के शेर पारा शिक्षकों को वेतनमान की सौगात की लॉलीपॉप देते थक नहीं रहे हैं। 18वर्षों से वनवास झेलते-झेलते हम सभी की उम्र सीमा भी खत्म हो रही है और दिन प्रति दिन पारा शिक्षकों की असामयिक मौत हो रही है कितने लोग बिना लाभ का सेवा निवृत्त भी हो रहे हैं।

अल्लाह, ईश्वर, सिक्ख ईसाई की कृपा पात्र एवं जन मानस के आशीर्वाद से इस लोक तंत्र की कुर्सी पर काबिज होने का अवसर प्राप्त हुआ है तो उसे जन उपयोगी कार्यों में इस्तेमाल करना बेहतर होगा ना की सीधापन का नाजायज फायदा उठा कर पारा शिक्षकों के भाग्य से खिलवाड़ करना अलोकतांत्रिक कदम साबित होगा।

सरकार के अधिकारियों की अनैतिकता से बिहार मॉडल की नियमावली का जनाजा निकल रहा है और पारा शिक्षकों को बरगलाने में शिक्षा मंत्री मीठा जहर साबित हो रहे हैं। डबल इंजन की सरकार से काफी खतरनाक एवं विश्व मोहिनी प्रदेश की वर्तवान महागठबंधन की सरकार हो गई है जो काफी काबिले तारीफ है। इतिहास के पन्नों में हेमन्त सोरेन वाली गठबंधन की सरकार को स्थापित करने में पारा शिक्षकों का अहम योगदान रहा है और उनके तारीफों को अमलीजामा पहनाने में भी पारा शिक्षकों ने अपनी जिंदगी को सरकार के हवनकुंड में अर्पित कर दिया बावजूद उनके साथ नाइंसाफी करने की तनिक भी लज्जा नहीं आती है।

सरकार को दिया अल्टीमेटम

उन्होंने सरकार से कहा है कि अविलंब पारा शिक्षकों को बिहार मॉडल पर निर्मित नियमावली को अमलीजामा पहनाते हुए सीधे कैबिनट से पारित कराने में सक्षमता प्रदान करें तथा दीपावली के पावन अवसर पर राज्य के 65000 पारा शिक्षकों को वेतनमान का तोहफा देकर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि का एतिहासिक रिकॉर्ड बनाने का काम करें। वरना महाराणा प्रताप की तरह घास की रोटियां खा कर वीर भगत और सुभाष चन्द्र बोस की तरह झारखंड में भी क्रान्ति की चिंगारियां उठेगी और महाआंदोलन का आगाज होगा।

अष्टमंगल नेतृत्वकर्ताओं से की अपील 

तमाम अष्टमंगल के नेतृत्वकारी साथियों से अपील है कि रांची में कैंपेनिंग कर मीडिया द्वारा वायरल न्यूज का तहकीकात करते हुए माननीय शिक्षा मंत्री जी से मिलकर नियमावली पर डाले हुए परदे को उठा कर सत्यता की स्थिति से अवगत हों हमलोग हवा में तीर चलाने वाले नहीं हैं अगर इस बार नियमावली पारित कराने में आनाकानी हुआ तो समझ लीजिए दाल में काला है। और इस परिस्थिति में अचार संहिता लागू होने से पूर्व आंदोलन की रणभेरियां बजे ताकि पंचायत चुनाव में तब तक हमलोग भाग नहीं लेंगे जब तक वेतनमान लागू होने की घोषणा नहीं होगी।

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