रांची। धनबाद के जज उतम आनन्द की संदेहास्पद मृत्यु के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए मौखिक रूप से कहा कि JPSC संवैधानिक संस्थान नहीं होती तो अदालत आज इसे बन्द करने का आदेश पारित कर देती.

उन्होंने कहा कि JPSC काम नहीं कर रही, इतनी महत्वपूर्ण संस्थान में पद खाली है और नियुक्ति नहीं की जा रही यह दुर्भाग्यपूर्ण है और यह शर्म की बात है.वहीं कोर्ट ने गृह सचिव द्वारा एफिडेविट दायर नहीं किये जाने पर भी अदालत ने नाराजगी जताई है.

अदालत ने सरकार के जवाब से अंसतुष्टि जताते हुए जेपीएससी, FSL और गृह सचिव को एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाख़िल करने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई के लिये एक सप्ताह बाद की तारीख मुक़र्रर की गई है. राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश और जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजोय पिपरवाल ने अदालत को बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में पद सृजित हैं और उन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. जिसपर चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन ने मौखिक रूप से कहा कि यह राज्य के लिए शर्म की बात है कि पद 2011 में सृजित हुआ लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हुई.

Show comments
Share.
Exit mobile version