रांची। झारखंड हाई कोर्ट में सिपाहियों से जुड़े एमएसीपी के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि एमएसीपी जारी किए जाने के संबंध में वह आदेश पारित करें। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अगर डीजीपी इस मामले में आदेश पारित नहीं करते हैं तो अगली सुनवाई के दिन उन्हें अदालत के समक्ष उपस्थित होकर यह बताना पड़ेगा कि वह आदेश पारित क्यों नहीं कर रहे हैं। यह जानकारी अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने दी।

हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिपाहियों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट में यह भी कहा है कि इस तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला झारखंड पुलिस के लगभग 50,000 से ज्यादा सिपाहियों से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2017 में पुलिस मेंस एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष नरेंद्र कुमार के द्वारा वित्तीय उन्नयन की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। मामले की सुनवाई जस्टिस एसएन पाठक की अदालत में हुई।

याचिका में कहा गया था कि प्रत्येक 10 वर्ष पर सिपाहियों को वित्तीय उन्नयन मिलना चाहिए लेकिन राज्य सरकार प्रशिक्षण का बहाना बनाकर उन्हें वित्तीय उन्नयन (एमएससीपी) का लाभ नहीं दे रही है। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले को काफी गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद झारखंड पुलिस के लगभग 50,000 से ज्यादा सिपाहियों की निगाहें अब अगली सुनवाई पर टिकी हैं।अगली सुनवाई पूजावकाश के बाद होगी।

 

Show comments
Share.
Exit mobile version