रांची। झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद, साहित्यकार एवं संस्कृतिकर्मी डॉ गिरिधारी राम गौंझू को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा हुई है। उन्हें यह सम्मान साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार की ओर से उनको यह पुरस्कार दिया गया है। डॉ गौंझू झारखंड रत्न समेत कई अन्य सम्मान से सम्मानित हो चुके थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बीते साल 15 अप्रैल, 2021 को उनका निधन हो गया था।

 

खूंटी के बेलवादाग गांव में हुआ था जन्म

खूंटी के बेलवादाग गांव में 05 दिसंबर, 1949 को जन्मे डॉ गौंझू के पिता का नाम इंद्रनाथ गौंझू एवं माता का नाम लालमणि देवी था। वर्ष 1975 में गुमला के चैनपुर स्थित परमवीर अलबर्ट एक्का मेमोरियल कॉलेज से अध्यापन कार्य शुरू किये थे। यहां वे वर्ष 1978 तक रहे। इसके बाद रांची के गोस्सनर कॉलेज, रांची कॉलेज रांची और रांची यूनिवर्सिटी स्नातकोत्तर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए। डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक रहे। इनकी अब तक 25 से भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा कई नाटकें भी लिखी हैं।

 

लेखन के क्षेत्र में लगातार रहे सक्रिय

सरल और मिलनसार स्वभाव वाले डॉ गोंझू प्रभात खबर द्वारा प्रकाशित माय माटी के नियमित लेखक भी रहे। इनकी लगभग 25 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने कई नाटक भी लिखे। इनकी प्रमुख रचना में झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, नागपुरी के प्राचीन कवि, रूगड़ा-खुखड़ी, सदानी नागपुरी सगरी व्याकरण, नागपुरी शब्दकोश, झारखंड के लोकगीत, झारखंड के वाद्ययंत्र, मातृभाषा की भूमिका, ऋतु के रंग मांदर के संग, महाबली राधे कर बलिदान, झारखंड का अमृत पुत्र : मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, महाराजा मदरा मुंडा, अखरा निंदाय गेलक नाट्य रचना, कहानी संग्रह, कविता संग्रह आदि शामिल हैं।

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