रांची: सीआरपीएफ डीजी एसएल थाउसेन ने रविवार को झारखंड के बूढ़ा पहाड़ में फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस का दौरा किया। वहां उन्होंने बुरहा गांव और आसपास के अन्य गांवों के ग्रामीणों से भी बातचीत की। सीआरपीएफ के सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत उनके बीच कंबल, फल और मिठाई का वितरण किया गया। उन्होंने वहां तैनात जवानों की सराहना भी की। झारखंड में माओवादी नक्सलियों के सबसे बड़े गढ़ बूढ़ा पहाड़ को सुरक्षा बलों और पुलिस ने पूरी तरह फतह कर लिया। बूढ़ा पहाड़ की तमाम चोटियों पर अब पुलिस का कैंप है। 16 सितंबर को पहाड़ पर वायु सेना का एमआई हेलीकॉप्टर उतारा गया। जवानों ने तालियां बजाकर जीत की खुशी का इजहार किया। 55 वर्ग किलोमीटर में फैले बूढ़ा पहाड़ पर पिछले 32 सालों से नक्सलियों का कब्जा था। झारखंड-छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरा इलाका नक्सलियों का अभेद्य दुर्ग बना हुआ था। बूढ़ा पहाड़ पर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के टॉप नक्सली लीडर और रणनीतिकार पनाह लिया करते थे।

माओवादियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के अरविंद उर्फ देवकुमार सिंह, सुधाकरण, मिथिलेश महतो, विवेक आर्या, प्रमोद मिश्रा, विमल यादव सहित कई बड़े नक्सली लीडरों मौजूद रहने की जानकारी पुलिस को मिलती थी। नक्सलियों के कई बंकर और शस्त्रागार भी थे। ट्रेनिंग कैंप में नक्सलियों ने कई फौजी दस्ते तैयार किये थे। इलाके को नक्सलियों से मुक्त कराने का सबसे बड़ा अभियान वर्ष 2018 में चलाया गया था। नक्सलियों ने बारूदी सुरंगों से पहाड़ की ओर बढ़ रहे सुरक्षा बलों के छह जवानों को उड़ा दिया। पहाड़ तक पहुंचने वाले हर रास्ते पर आईईडी बम बिछा रखे गए थे। इस दौरान मध्य क्षेत्र एसडीजी वितुल कुमार, सीआरपीएफ आईजी ऑपरेशन राजीव कुमार, सीआरपीएफ झारखंड सेक्टर आईजी अमित कुमार, पलामू रेंज सीआरपीएफ डीआईजी विनय नेगी, गढ़वा एसपी अंजनी कुमार झा, 172 कमांडेट नृपेंद्र कुमार सिंह, सीआरपी-172 और गढ़वा पुलिस के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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