चतरा। प्रतिभा किसी के परिचय का मोहताज नहीं होती है. चतरा जिले के गिद्धौर के लाल पीयूष कुमार ने इस चर्चित कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है. इन्होंने संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद अपने हुनर से बैटरी संचालित ऑटोमेटिक साईकिल का ईजात कर अपना और अपने परिजनों के साथ-साथ रिश्तेदारों का नाम भी रौशन कर दिया है.
बता दें कि परिवार की माली हालत ठीक नहीं रहने के कारण पीयूष अपने माता-पिता के घर की बजाय गिद्धौर प्रखंड मुख्यालय स्थित अपने नाना युवराज महतो के घर पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल, वह 12वीं के छात्र हैं.
पीयूष ने पिछले कई दिनों से पेट्रोल डीजल की कीमत में हो रही वृद्धि को देखते हुए 12-12 वोल्ट की दो बैटरी व केयर मोटर लगाकर सेन्सरयुक्त साइकिल का ईजात करने में सफलता हासिल की है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बगैर किसी मार्गदर्शन और सहयोग के उसने यह अविष्कार कर डाला है, जिसकी चर्चा न सिर्फ इलाके में हो रही है, बल्कि उसे खूब वाहवाही भी मिल रही है.
वहीं, पीयूष की ओर से ईजात साइकिल को देखने को लेकर ग्रामीणों की भीड़ लग रही है. पीयूष के इस प्रयास की लोग काफी तारीफ कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में जिस तरह से डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही है, ऐसे में पीयूष का यह प्रयास रंग लाया है. कम खर्च पर लोग अब अधिक दूरी तय कर सकेंगे. आसपास के लोग बताते हैं कि गरीब जो बाइक नहीं खरीद सकते हैं, वे साइकिल खरीद कर बाइक का आनंद उठा सकेंगे.
इधर, इसे लेकर पीयूष का कहना है कि एक बार बैटरी चार्ज होने पर 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है. साइकिल बनाने में उसे महज दस हजार रुपए खर्च आया है. खर्च का पैसा उसके मामा सरोज कुमार ने वहन किया. उसने बताया साइकिल की स्पीड 30 से 32 किलोमीटर प्रति घंटा है. मोटरसाइकिल सेंसर से भी युक्त है. इस मोटरसाइकिल रूपी साइकिल को कोई चोरी भी नहीं कर सकता है क्योंकि किसी के छूते ही सेंसर हल्ला मचाना शुरू कर देता है.
बता दें कि पीयूष आए दिन कुछ ना कुछ नए अविष्कार करने का प्रयास करते रहे हैं, जिससे उन्हें कई मेडल भी मिल चुके हैं. पीयूष कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई गिद्धौर से ही हुई है, जबकि मैट्रिक की पढ़ाई इंदुमती टिबड़ेवाल सरस्वती विद्या मंदिर चतरा से हुई है. मैट्रिक में पीयूष जिले में दूसरे स्थान पर रहा था. वह स्कूल में आयोजित होने वाले विज्ञान प्रदर्शनी में बढ़ चढ़कर भाग लेता था. यहीं से उसे कुछ हटकर करने की प्रेरणा मिली. वह 2017 से ही मोटर चालित साइकिल बनाने का प्रयास किया. शुरुआती दौर में मोटर बैटरी से एक किलोमीटर तक साइकिल चलाया था, जबकि दूसरे प्रयास में उसे बड़ी सफलता मिली.