रांची। भौतिक सुखों के पीछे भागते मानव का आध्यात्मिक विकास रुकता जा रहा है। आत्मिक बल के अभाव के कारण नैतिक मूल्यों का बहुत पतन हो गया है। ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा लाये गये पाठ्क्रमों के द्वारा आने वाला युग एक बेहतर युग और आनन्द व खुशी का समय होगा। ये बातें ब्रह्माकुमारी संस्थान की संचालिका राजयोगिनी निर्मला बहन ने कही।

वे रविवार को आयोजित राजयोग प्रवचन के बाद बोल रही थीं। उन्होंने कहा राजयोग ध्यान, ज्ञान और आत्म विश्वास ही ऐसे साधन हैं जिनसे आत्मा जागृत होती है। इन साधनों के प्रयोग से उत्पन्न विवेक बुद्धि से ही हम वास्तविकता को समझ पाते हैं। इसके उत्पन्न होते ही अन्दर की ज्ञान ज्योति प्रज्वलित हो जाती है और अज्ञान अन्धकार मिट जाता है। परमात्म शक्तियों और वरदानों की अनुभूति कार्यक्रम में उन्होंने कहा खुदा ही आनन्द का शिखर है। ध्यान के बाद श्रद्धा उत्पन्न करने का दूसरा साधन ज्ञान है। शरीर की सेवा भौतिक साधनों से करने के साथ-साथ आत्मा की उन्नति के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी है। श्रद्धायुक्त राजयोग अभ्यास मनुष्य को शालीन और संस्कार वान बनाता है। ब्रह्माकुमारी संस्थान की बहनें अपने सात्विक गुणों और सेवाभाव से विश्व में श्रद्धा की मूर्ति बन गयी हैं। निर्मला बहन ने कहा जिसने आत्मिक आनन्द और दिव्य शान्ति की अनुभूति कर ली है उसे क्षणिक इन्द्रिय सुख आकृष्ट नहीं कर सकते। आध्यात्मिक परिपक्वता आने पर सांसारिक वासनाएं और तृष्णा स्वतः ही नष्ट हो जाती है।

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