खूँटी (स्वदेश टुडे)। जिलावासियों को जागरूक करने के उद्देश्य से डायन कुप्रथा के उन्मूलन के लिए अनुमण्डल पदाधिकारी सैय्यद रियाज अहमद की अध्यक्षता में डायन कुप्रथा के उन्मूलन से सम्बंधित बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक के दौरान उन्होंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को जागरूकता रथ के प्रखंडवार एवं पंचायतवार परिचालन को लेकर आवश्यक व उचित दिशा-निर्देश दिया। साथ ही डी.पी.एम जे.एस. एल.पी.एस एवं जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी को निर्देशित किया कि जागरूकता वीडियो व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार किया जाय। इसके अतिरिक्त एन. जी.ओ के साथ समन्वय स्थापित कर उनका सहयोग भी लिया जाय ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग जागरूक हो सकें। आगे उन्होंने बताया कि इसके लिए शपथ पत्र तैयार कर पंचायत स्तर पर व विद्यालयों में लोगों को जागरूक किया जाय।
उन्होंने कहा कि डायन कुप्रथा हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिषाप है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है और हर संभव प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य से जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार समाज में फैले अंधविश्वास को दूर किया जा सके। आगे उन्होंने कहा कि  महिलाओं को सशक्त व स्वाबलंबी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसमें सखी मण्डल की दीदियों का भी पूर्ण सहयोग लिया जाय जिनके द्वारा अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अभियान को सफल बनाने हेतु प्रत्येक पंचायत में शिक्षकों को टैग करने हेतु जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिए गए।

उन्होंने कहा कि इस विकृत सोच को समाज से खत्म करने और लोगों को इस दिशा में जागरूक करने की आवश्यकता हैं।  डायन प्रथा जैसे मानसिक कुरीतियों को समाज से पूर्ण रूप से खत्म करने में अपना हर संभव योगदान सुनिश्चित करें।

इसके अलावा जानकारी दी गयी कि किसी महिला को डायन कहना या उसके डायन की अफवाह फैलाना या उसे डायन कहने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाना अथवा किसी महिला को डायन घोषित कर उसे शारीरिक या मानसिक कष्ट देना कानूनन जुर्म है। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 के अनुसार धारा 3 के तहत डायन का पहचान करने वाले या कहने वालो को-3 महीने की सजा या रु1000/- जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 4 डायन बता कर किसी को प्रताड़ित कराना-6 महीना की सजा या रु 2000/-जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 5 डायन चिन्हित करने में जो व्यक्ति उकसायेगा-3 महीने की सजा या रु 1000/- जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 6 भूत-प्रेत झाड़ने की क्रिया-1 साल की सजा या रु 2000/- जुर्माना या दोनों का प्रावधान है एवं इस अधिनियम की सभी धाराएँ संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं एवं अजमानतीय है।

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