नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक्स में एक एथलीट को अपने ही घर जाने से डर लग रहा है. दरअसल बेलारूस की स्प्रिंटर Krystsina Tsimanouskaya का कहना है कि अगर वे अपने देश वापस गईं तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा. क्रिस्टिस्ना के देश की ओलंपिक कमिटी ने उन्हें एयरपोर्ट से वापस बेलारूस ले जाने की भी कोशिश की जिसे इस एथलीट के फैंस ने किडनैपिंग भी करार दिया.

 

हालांकि क्रिस्टिस्ना ने जापान की एयरपोर्ट पुलिस से लगातार गुजारिश की कि उन्हें वापस बेलारूस ना भेजा जाए. इसके बाद जापान पुलिस ने उन्हें सुरक्षित लोकेशन पर भेज दिया है. क्रिस्टिस्ना ने कहा कि उन्हें बेलारूस के ओलंपिक अधिकारियों ने कहा था कि मेरे पास सिर्फ कुछ मिनट हैं और मुझे अपने बैग पैक कर बेलारूस रवाना हो जाना चाहिए.

 

क्रिस्टिस्ना एक 200 मीटर रनर हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उनके कोच उन पर 4X400 रिले टीम जॉइन करने के लिए जबरदस्त दबाव बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका इस स्पोर्ट्स इवेंट में कोई अनुभव भी नहीं है. इसके बावजूद उन पर ये दबाव बनाया जा रहा है.

 

इसके बाद क्रिस्टिस्ना ने ट्रिब्यूना.कॉम को एक इंटरव्यू भी दिया. उन्होंने इस इंटरव्यू में कहा कि मुझे इस बात का डर नहीं है कि वे मुझे नेशनल टीम से निकाल देंगे. मुझे अपनी सुरक्षा की चिंता है. मुझे लगता है कि वे लोग मुझे जेल में डाल देंगे. मेरा मानना है कि इस समय मुझे बेलारूस नहीं जाना चाहिए क्योंकि वहां मेरी सुरक्षा को खतरा है.

 

क्रिस्टिस्ना ने ये भी कहा कि बेलारूस के नेशनल टीम के हेड कोच युरी मोइसेविच ने उन्हें साफ तौर पर कह दिया था कि मुझे ओलंपिक टीम से निकालने की जरूरत है और अगर मैं 200 मीटर रेस से अलग नहीं होती हूं तो मुझे नेशनल टीम से निकाल दिया जाएगा और इसके अलावा भी मुझे कुछ गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

क्रिस्टिस्ना ने इसके बावजूद 200 मीटर रेस में शामिल होने का फैसला किया था जिसके बाद उन्हें पैकअप के लिए कहा गया था. क्रिस्टिस्ना ने ये भी कहा कि ये फैसला सिर्फ स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री के पास नहीं रह गया है और उनसे जुड़ा ये फैसला अब हाई लेवल से आ रहा है. बता दें कि एलेक्जेंडर लुकाशेंको की सरकार है जिसे ‘यूरोप का आखिरी तानाशाह’ भी कहा जाता है.

 

गौरतलब है कि इस एथलीट को अब बेलारूस स्पोर्ट सॉलिडैरिटी फाउंडेशन का समर्थन मिल रहा है. ये संस्था उन एथलीट्स को सपोर्ट करती हैं जिन्हें अपने पॉलिटिकल बयानों या दूसरे किसी अन्य विवाद के चलते हैरेसमेंट झेलनी पड़ती है.  इसके अलावा इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी(आईओसी) भी इस मामले में एक्टिव हो चुका है और आईओसी ने क्रिस्टिस्ना से बात भी की है.

क्रिस्टिस्ना ने ये भी कहा कि इस मामले के हाई-प्रोफाइल के बाद से ही वे अब किसी दूसरे देश में शरण लेने की सोच रही हैं. उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था- मैं टोक्यो छोड़ने के बारे में सोच रही हूं लेकिन मैं उस प्लेन से नहीं जाना चाहती हूं जिससे मुझे ये लोग ले जाना चाहते हैं. इससे पहले रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिस्टिस्ना इस मामले में जर्मनी या ऑस्ट्रिया में शरण लेने की सोच रही हैं. 

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