नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां स्थिति भयावह है और आतंकी संगठन से डरे लोग किसी भी कीमत पर देश छोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं. हालांकि तालिबान को यह पसंद नहीं आ रहा है और वो ऐसे लोगों और परिवारों को छड़ियों से पीट रहा है. इस बात का दावा एक मानवाधिकार समूह ने किया है.

 

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अफगानिस्तान में सत्ता में आते ही तालिबान क्रूरता पर उतर आया है. जो लोग और परिवार उनसे डरकर देश छोड़ना चाहते हैं उसे तालिबान क्रूरता के साथ दंड दे रहा है और उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित कर रहा है. ऐसे लोगों को बिना किसी वजह के तालिबान के फाइटर लाठी-डंडों से पीट रहे हैं.

 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान के लड़ाकों ने हजारा अल्पसंख्यक समूह के लोगों को प्रताड़ित किया और कई लोगों को मार डाला. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि उन्हें इस घटना को लेकर गवाहों ने गजनी प्रांत में क्रूर हत्या का दिल दहला देने वाली जानकारी दी है.

 

सत्ता पर कब्जा से पहले सरकार और तालिबान के बीच लड़ाई तेज होने पर ग्रामीणों के पहाड़ों पर भाग जाने के बाद, मलिस्तान जिले में 4 से 6 जुलाई के बीच लगभग नौ हजारा लोगों की तालिबान के लड़ाकों ने हत्या कर दी थी.

 

रिपोर्ट के मुताबिक जब बचे हुए लोग अपने गांव लौट आए तो उन्होंने पाया कि तालिबान उनके घरों में तोड़फोड़ करने के बाद उनका इंतजार कर रहे थे. जैसे ही वहां पहुंचे छह लोगों को तालिबानी आतंकियों ने गोली मार दी. इनमें से कुछ लोगों को सिर में गोली मारी गई थी.

 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तालिबानी लड़ाके ने एक शख्स का अपने ही दुपट्टे से गला घोंट दिया गया था और उसके बाद बांह की मांसपेशियों को काट दिया था, जबकि दूसरे के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे.

 

एक दिन पहले प्रकाशित हुई एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में आतंकवादी समूह की छवि बदलने की कोशिश और ये घटनाएं तालिबान शासन का एक “भयावह संकेतक” है.

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