बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को पुरातात्विक अवशेषों को देखने भागलपुर के बिहपुर प्रखंड पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कोसी नदी की धारा को मोड़ने और पुरातात्विक अवशेष को बचाने को लेकर कई बड़े ऐलान किए। हालांकि, मुख्यमंत्री के इस दौरे से यहां के किसानों को तगड़ा झटका लगा है। जिला प्रशासन ने सीएम को खुश करने के लिए किसानों की इस कदर अनदेखी कर दी कि अब वो बेचैन हो गए हैं। सीएम के हेलीकॉप्टर से आगमन और दूसरी तैयारियों के चलते यहां के किसानों की करीब 100 एकड़ फसल बर्बाद हो गई है।

किसानों ने बताया कि पहले मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर से आने के लिए प्रशासन ने हेलीपैड तैयार कराया। जिसकी वजह से कई एकड़ फसल बर्बाद हुई। रही-सही कसर उस पुरातात्विक धरोहरों का निरीक्षण करते सीएम नीतीश कुमार को देखने के लिए बिहपुर और आसपास के हजारों लोगों ने पूरी कर दी। लोगों की भीड़ ने मक्का, परवल, गेहूं, करेला समेत साग-सब्जी की फसल को भारी क्षति पहुंचाया है। किसान आंदोलन के बीच फसलों को हुए इस नुकसान के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। हंगामा बढ़ता देखकर जिले के डीएम प्रणव कुमार ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सीओ के माध्यम से पीड़ित किसानों को उनके नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है। भले ही अधिकारी मामले को संभालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर फसल को देखते हुए पहले से ही सीएम के आगमन को लेकर कोई ठोस पहल क्यों नहीं की गई?

बिहपुर के किसान नवीन चौधरी ने बताया कि उनकी फसल बर्बाद हो गई। अगर क्षति पूर्ति मिलता भी है, तो इसका लाभ लेने के लिए खेत-खलिहान छोड़कर दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नवीन चौधरी की मानें तो दो बीघे में परवल और 12 कट्‌ठे में गेहूं की फसल लगाई थी, जो बर्बाद हो चुका है। यही नहीं, अच्छी फसल की आस में उन्होंने 50 हजार कर्ज लेकर गेहूं बोया था। इन्हें विश्वास था कि जब लाखों की फसल होगी तो महाजन का कर्जा भी चुकता हो जाएगा और घर में दाना-पानी का कुछ इंतजाम भी होगा। ये बदहाली सिर्फ नवीन चौधरी ही नहीं बल्कि इनके तरह कई और छोटे-बड़े किसानों का है। वहीं अब अंचलाधिकारी ने सोमवार को फसल के नुकसान का आकलन कर संबंधित विभाग को रिपोर्ट भेजने की बात कही है।

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