रांची। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाला मामले आरसी 47ए/96 में 15 फरवरी को फैसला आएगा। शनिवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत ने मामले के अंतिम आरोपित की ओर से बहस पूरी होने के बाद फैसले की तारीख निर्धारित की। 15 फरवरी को लालू प्रसाद समेत 102 आरोपितों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।

 

डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद समेत 102 लोग ट्रायल फेस कर रहे हैं। हालांकि, कुछ आरोपितों की मौत हो चुकी है लेकिन आरोपितों की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने के कारण इसका नाम नहीं काटा गया है।

26 साल पहले दर्ज हुए थे 53 मुकदमे

सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे। ये रुपये को संदिग्ध रूप से पशुओं और उनके चारे पर खर्च होना बताया गया था। उन 53 मामलों में से यह मामला आरसी 47 (ए)/ 96 सबसे बड़ा, जिसमें सर्वाधिक 170 आरोपित शामिल हैं। इस मामले में सर्वाधिक 139 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि की अवैध निकासी की गई थी। मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों की संख्या भी सबसे अधिक 585 है।

170 आरोपितों के खिलाफ दायर हुई चार्जशीट

सीबीआई ने 170 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्रा सहित 70 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। वर्तमान में सिर्फ 110 आरोपित ट्रॉयल का सामना कर रहे हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। लालू फिलहाल चारा घोटाले के अन्य मामले में जमानत पर हैं और दिल्ली में रहकर इलाज करा रहे हैं।

 

अब तक क्या हुआ

27 जनवरी, 1996: पशुओं के चारा घोटाले के रूप में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की लूट का पता चला। चाईबासा ट्रेजरी से गलत तरीके से 37.6 करोड़ रुपये निकाले गए थे।

11 मार्च, 1996: पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिए।

19 मार्च, 1996: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए हाईकोर्ट की बेंच को निगरानी करने को कहा।

27 जुलाई, 1997: सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव पर शिकंजा कसा।

30 जुलाई, 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत के सामने सरेंडर किया।

19 अगस्त, 1998: लालू और राबड़ी देवी के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति का मामला दर्ज कराया गया।

04 अगस्त, 2000: लालू के खिलाफ आरोप पत्र दर्ज हुआ और राबड़ी देवी को सह-आरोपित बनाया गया।

05 अगस्त, 2000: लालू और राबड़ी ने सरेंडर किया, राबड़ी को जमानत मिली।

09 जून, 2000: कोर्ट में लालू के खिलाफ आरोप तय हुए।

अक्टूबर, 2001: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद मामले को नए राज्य में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद लालू ने झारखंड में सरेंडर किया।

18 दिसम्बर, 2006: लालू और राबड़ी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में क्लीन चिट मिली।

2000 से 2012 तक: मामले में करीब 350 लोगों की गवाही हुई। इस दौरान कई गवाहों की मौत हो गई।

17 मई, 2012: सीबीआई कोर्ट में लालू नए आरोप तय हुए। इसमें दिसम्बर 1995 और जनवरी 1996 के बीच दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ रुपये की निकासी का मामला भी शामिल।

17 सितम्बर, 2013: चारा घोटाला मामले में रांची की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।

30 सितम्बर, 2013: चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए।

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