पटना। बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में राजद ने रविवार को पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा दी। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एलान किया कि कुशेश्वरस्थान से गणेश भारती और तारापुर से अरुण कुमार शाह उम्मीदवार होंगे। जैसे ही राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने नाम का एलान किया, कांग्रेस पूरी तरह से नाराज हो गई। अब कुशेश्वरस्थान और तारापुर से कांग्रेस भी उम्मीदवार उतारेगी। बहुत जल्द कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम का एलान कर सकती है।
इस प्रकार बिहार में राजद-कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों का गठबंधन टूट सकता है। राजद ने दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है। उधर, कांग्रेस अपने बूते कुशेश्वरस्थान और तारापुर से चुनाव लड़ने पर अड़ गई है। राजद ने अरूण साह को तारापुर से उम्मीदवार बनायाहै। राजद ने इस सीट से पिछली बार लड़ी दिव्या प्रकाश का टिकट काट दिया है। दिव्या प्रकाश राजद के वरीय नेता और लालू फैमिली के खास जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी हैं। पार्टी ने इस दफे एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी की है। लिहाजा, अरूण साह को टिकट दिया गया है। तारापुर क्षेत्र में वैश्य वोटरों की अच्छी तादाद है औऱ राजद को उम्मीद है कि अरूण साह के कारण वैश्य वोटरों का साथ उसे मिलेगा।
उधर, कुशेश्वरस्थान सीट से भी राजद ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस सीट से गणेश भारती को उम्मीदवार बनाया गया है। गणेश भारती सदा मुसहर जाती से आते हैं। इस सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अशोक राम चुनाव लड़े थे, लेकिन राजद ने इस सीट को कांग्रेस के लिए छोड़ने से इनकार कर दिया है। राजद ने इस सीट से भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है और कांग्रेस से कोई बातचीत करना मुनासिब नहीं समझा। अगर राजद ने कुशेश्वरस्थान से अपना उम्मीदवार वापस नहीं लिया तो कांग्रेस दोनों विस सीट तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों ही सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी।
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि कुशेश्वरस्थान हमारी सीट थी। पर राजद ने वहां से अपना उम्मीदवार उतार दिया है। तो अब कांग्रेस में तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों ही सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। अब राजद और कांग्रेस की ओर से दोनों ही सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने के बाद दोनों पार्टियों के बीच आर-पार वाली स्थिति हो गई है। वहीं, अगर महागठबंधन के बीच टकराव कायम रहा और राजद ने अपना उम्मीदवार कुशेश्वर स्थान से वापस नहीं लिया तो राजद-कांग्रेस आमने-सामने होंगे और इसका फायदा जदयू को मिल सकता है। इसलिए यह भी संभव है कि राजद और कांग्रेस के नेता आपस में बातचीत करें।