50:50 के फार्मूले पर सहमति लगभग तयLJP का 143 सीटों पर लड़ने का ऐलानमांझी को अपने कोटे से टिकट देगा JDU
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी एनडीए में सीटों के बंटवारे का मुद्दा सुलझा नहीं है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में इस बात को लेकर नूरा कुश्ती चल रही है कि कौन पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने पाले में कर सके.

दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान की 143 सीट पर अकेले चुनाव लड़ने की राजनीति ने भी एनडीए के लिए मुश्किल बढ़ा कर रखी हुई है. सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड के बीच सीट बंटवारे को लेकर 50:50 के फॉर्मूले पर सहमति लगभग बन चुकी है. 2019 लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को अपनाते हुए 2020 विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच सीटों का बंटवारा बराबरी का हो सकता है.

2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े थे. इसी फॉर्मूले को अपनाते हुए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा बराबरी का हो सकता है. इस फॉर्मूले के तहत जनता दल यूनाइटेड 122 और भारतीय जनता पार्टी 121 सीट पर चुनाव लड़ सकती है.

सहयोगियों का क्या होगा?

जहां तक एनडीए के अन्य सहयोगी दल जैसे लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का सवाल है तो भारतीय जनता पार्टी अपने कोटे से लोक जनशक्ति पार्टी को टिकट देगी. वहीं जनता दल यूनाइटेड अपने कोटे से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को टिकट देगा. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार अपने कोटे से जीतन राम मांझी की पार्टी को 6-8 सीट दे सकते हैं. अगर नीतीश कुमार मांझी की पार्टी को इससे ज्यादा सीटें देते हैं तो इसका मतलब होगा कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा सकते हैं.

सीट बंटवारे पर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, “नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए 2010 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन करेगा. सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में कोई परेशानी नहीं है. समय आने पर आधिकारिक घोषणा हो जाएगी कि किस दल को कितनी सीटें मिली हैं. महागठबंधन में जिस तरीके का कोहराम मचा हुआ है, उसके बाद उससे एनडीए के सीट बंटवारे पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है.”

बता दें, भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि 2019 लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से अपने 5 सांसदों का टिकट काटकर नीतीश कुमार के साथ 17-17 पर बराबरी का सीटों का बंटवारा किया, अब इसी फार्मूले को नीतीश कुमार को मानना चाहिए और विधानसभा में भी बराबरी के सीटों का बंटवारा होना चाहिए. 2014 में जनता दल यूनाइटेड के केवल 2 सांसद होने के बावजूद भी 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश कुमार की पार्टी के साथ बराबरी के सीटों का तालमेल करके उसे 17 सीटें दी.

भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि 2019 में जो उसने कुर्बानी दी थी, उसका मुआवजा उससे 2020 विधानसभा चुनाव में मिलना चाहिए. 2020 विधानसभा चुनाव में अगर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड बराबर की सीटों पर चुनाव लड़ते हैं तो पिछले 15 सालों में ऐसा पहला मौका होगा जब नीतीश कुमार की पार्टी बड़े भाई की भूमिका में नहीं रहेगी.

नवंबर 2005 विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड 139 सीट पर तो भारतीय जनता पार्टी 102 सीट पर चुनाव लड़ी थी. इस चुनाव में साथ मिलकर जनता दल यूनाइटेड ने 88 और बीजेपी ने 55 सीटें जीती थी. 2010 विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार की पार्टी बड़े भाई की भूमिका में रही, जैसा कि जनता दल यूनाइटेड 141 और भारतीय जनता पार्टी 102 सीट पर चुनाव लड़ी थी. इस चुनाव में जनता दल यूनाइटेड 115 और भारतीय जनता पार्टी ने 91 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2015 विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे.

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