पटना। बरसात शुरू होते ही ठनका गिरने के मामले बढ़ जाते हैं। पूर्वी बिहार, कोसी और सीमांचल को ठनका का डेंजर जोन माना जा रहा है। ऐसे में जब बारिश शुरू होने से पूर्व या इसके दौरान बिजली गिरने की आशंका ज्यादा होती है, अपने को सुरक्षित रखें। कुछ उपाय करके आप ठनका से सुरक्षित रह सकते हैं।
तिलका मांझाी भागलपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्यक्ष रहे डा. एसएन पांडेय बताते हैं कि हवा में नमी की कमी के कारण ठनका गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं। इस लिहाज से भागलपुर समेत पूर्वी बिहार, कोसी, सीमांचल डेंजर जोन बन गया ह। इसकी वजह है कि इस इलाके की वन भूमि घटती जा रही है। गंगा, कोसी, महानंदा समेत अन्य नदियों के आसपास के हिस्सों में बालू फैलता जा रहा है। इसके चलते नमी घट रही है। जंगल व पानी के कारण नमी रहने से बादल बारिश बनकर बरसता है। इसके बिना अब ठनका बरस रहा है।
ऐसे गिरता है ठनका
डा. पांडेय के अनुसार आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से ठनका पैदा होता है और वह धरती पर गिरता है। आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से ठनका धरती पर कंडक्टर की तलाश में पहुंचता है, जिससे जान-माल का नुकसान होने की आशंका होती है। धरती पर पहुंचने के बाद ठनके को कंडक्टर की जरूरत पड़ती है। ऐसे में जब लोहे के खंभों के अगल- बगल से आकाशीय ठनका गुजरता है तो वह खंभा कंडक्टर का काम करता है। उस समय कोई व्यक्ति यदि उसके संपर्क में आता है तो उसकी जान तक जा सकती है।
ठनका गिरने की स्थिति में इन बातों का रखें ध्यान
बिजली कड़कने के समय बिजली के खंभे का आसपास नहीं जाना चाहिए।
अगर किसी पर ठनका गिर जाए, तो फ़ौरन डॉक्टर के पास ले जाएं। ऐसे लोगों को छूने से आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
अगर किसी पर ठनका गिरा है तो फ़ौरन उनकी नब्ज जांचें। अगर आप प्रथम उपचार देना जानते हैं तो ज़रूर दें। ठनका गिरने से अकसर दो जगहों पर जलने की आशंका रहती है, पहला वहां जहां से ठनका का झटका शरीर में प्रवेश किया और दूसरा वहां से जहां से ठनका निकला है। ऐसा भी हो सकता है कि ठनका गिरने से व्यक्ति की हड्डियां टूट गई हों या उसे सुनना या दिखाई देना बंद हो गया हो। इसकी जांच करायें।
ठनका गिरने के तुरंत बाद घर से बाहर न निकलें। ठनका गिरने से अधिकांश मौतें तूफ़ान गुज़र जाने के 30 मिनट बाद होती हैं।
अगर बादल गरज रहे हों, और आपके रोंगटे खड़े हो रहे हैं तो ये इस बात का संकेत है कि ठनका गिर सकता है। ऐसे में नीचे दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएं, अपने हाथों को घुटने पर रख लें और सर दोनों घुटनों के बीच। इस मुद्रा के कारण आपका ज़मीन से कम से कम संपर्क होगा। छतरी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। धातु के जरिए ठनका आपके शरीर में घुस सकती है।

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