नई दिल्ली. प्राइवेट नौकरी करने वालो को अक्सर नौकरी जाने का डर बना रहता है. ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों को कुछ ऐसे विकल्प चाहिए जिनकी मदद से वे अचानक आने वाली आर्थिक मुश्किलों से खुद को सुरक्षित रख सकें. अधिकांश मध्यम वर्ग परिवारों पर लोन का बोझ होता है जिसके लिए वो नियमित मासिक किश्त चुकाते हैं. ऐसे में इंश्‍योरेंस पॉलिसी काफी मददगार साबित हो सकती है. लॉस ऑफ जॉब/इनकम इंश्योरेंस स्वयं को ऐसी मुसीबतों से सुरक्षित बनाने का काम करती है. इसे बाजार में ‘जॉब लॉस इंश्‍योरेंस’ कवर के नाम से जानते हैं. कई जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियां इस तरह की पॉलिसी ऑफर करती हैं.

इस इंश्‍योरेंस में नौकरीपेशा और खुद का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए अलग-अलग प्लान मौजूद हैं और दोनों ही प्लान के अंतर्गत मिलने वाले लाभ भी अलग हैं. नौकरी से निकाले जाने या कर्मचारियों की छंटनी के कारण हुए आमदनी के नुकसान की स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी तीन महीनों तक ग्राहक के लोन की किश्तें चुकाती है (किश्त की राशि ग्राहक की मौजूदा ईएमआई के आधार पर होगी).

वहीं, आंशिक या स्थाई विकलांगता की स्थिति में इंश्योरेंस कवरेज प्राप्त व्यक्ति को साप्ताहिक वेतन लाभ मिलता है, जो रु. 1 लाख प्रति सप्ताह तक हो सकता है (ग्राहक के शुद्ध वेतन पर आधारित) और यह अधिकतम 100 सप्ताह तक दिया जाएगा. कुछ प्लान ऐसे भी हैं जो गंभीर बीमारी, आंशिक स्थाई अपंगता या आंशिक अस्थाई अपंगता के लिए कवरेज देते हैं. इस प्लान को खरीदने पर ग्राहक अपनी पॉलिसी के लिए चुकाए गए प्रीमियम के एवज में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 (डी) के तहत टैक्स छूट का लाभ भी उठा सकते हैं.

बता दें कि भारत के ऑनलाइन इंश्योरेंस मार्केटप्लेस ने एक नया सेक्शन लॉन्च किया है, जहां से लोग जॉब/इनकम लॉस इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं. इस नए सेक्शन में जाकर लोग भारत की बीमा कंपनियों जैसे एसबीआई जनरल, श्रीराम जनरल, यूनिवर्सल सॉम्पो और आदित्य बिड़ला इंश्योरेंस द्वारा पेश किये जाने वाले प्रोडक्ट्स के बारे में पूरी जानकारी ले स्कते हैं.

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