कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया ने घोषणा की है कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में इस्तेमाल हो रहे सैनिटाइजर घटिया क्वालिटी के हैं। सोसाइटी ने पाया कि बाजार में कुछ सिर्फ मुनाफा कमाने लिए आए हैं और उनके उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। सैनिटाइजर हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। सैनिटाइजर को हम कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। जब हम काम पर जाते हैं या यात्रा कर रहे होते हैं, तब हम सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं। कोरोना वायरस ज्यादा फैल रहा है, तो इसके साथ-साथ हर दिन सैनिटाइजर की मांग भी बढ़ती जा रही है। कुछ कंपनियों ने इन स्थितियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। सैनिटाइजर के नाम पर कई गड़बड़ उत्पाद मार्केट में बेचे जा रहे हैं।

कई तरह के सैनिटाइजर

बाजार में कई तरह के सैनिटाइजर मिल रहे हैं, जिनमें कुछ दावा करते हैं कि ‘वो 99.9 प्रतिशत तक वायरस मार सकते हैं’, कुछ कहते हैं कि ‘उनका सैनिटाइजर खुशबू वाला है’, वहीं कई का कहना है कि ‘उनका सैनिटाइजर अल्कोहल बेस्ड है’। कोरोना वायरस से बचने के लिए हम सभी अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन क्या आप सही सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या सैनिटाइजर का कोई साइड-इफेक्ट भी होता है? क्या सैनिटाइजर आपकी त्वचा को सूट करते हैं? ये सारे सवाल महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बाजार में कई घटिया और मिलावटी सैनिटाइजर मिल रहे हैं।

आधे से ज्यादा मिलावटी

ग्राहकों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, अध्ययन के लिए चुने गए सैनिटाइजरों में से आधे से ज्यादा मिलावटी थे। ये सैंपल मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई से लिए गए थे।
कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया का अध्ययन क्या कहता है?
जांच के लिए सैनिटाइजर के 122 सैंपल चुने गए थे।
45 सैंपल मिलावटी पाए गए।
5 सैंपल में मेथनॉल था जो इंसानों के लिए नुकसानदायक है।
59 सैंपलों में उनपर लिखे लेबल के मुताबिक ही कंपोजिशन थी।
कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया के मानद सचिव डॉ एम.एस. कामथ ने इस बारे में कहा, ‘बाजार से लाए गए 120 सैंपलों पर गैस क्रोमैटोग्राफी टेस्ट किया गया, जिनमें से 45 सैंपल मिलावटी मिले। इसका मतलब ये हुआ कि उनके लेबल पर जो विवरण लिखा होता है वो इससे मेल नहीं खाते।’

डॉ कामथ ने कहा, ‘सबसे खतरनाक बात ये है कि पांच सैंपल सैनिटाइजर में मिथाइल था। मिथाइल अल्कोहल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है, इसके बावजूद इसका खुलेआम इस्तेमाल होता है। मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल करके सैनिटाइजर बनाए जा रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’

मिथाइल अल्कोहल क्या है?

अमेरिका स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के मुताबिक, मिथाइल अल्कोहल एक जहरीला पदार्थ है। इससे त्वचा, आंखों और फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। मिथाइल अल्कोहल के संपर्क में आने वाले लोगों को ये नुकसान पहुंचा सकता है। इसका उपयोग प्लास्टिक, पॉलिएस्टर और सॉल्वैंट्स के उत्पादन में किया जाता है। डॉक्टर कामथ बताते हैं, ‘मिथाइल अल्कोहल आपकी त्वचा के अंदर जा सकता है, इससे नुकसान हो सकता है। अगर ये आंखों के संपर्क में आता है तो इससे आंखों को नुकसान हो सकता है। साथ ही उसकी वजह से उल्टियां, सिर दर्द और ज्यादा संपर्क में आने से मौत तक हो सकती है।’

त्वचा रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ. रिंकी कपूर कहती हैं, ‘ये पता चला है कि कई व्यापारी सैनिटाइजर की बढ़ती मांग से मुनाफा कमाने के लिए नकली सैनिटाइजर बेच रहे हैं। ये नकली सैनिटाइजर त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए लोगों को किसी भी दुकान से सैनिटाइजर खरीदते वक्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।’

सैनिटाइजर को लेकर सरकार की भूमिका

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा, ‘घटिया क्वालिटी का सैनिटाइजर इस्तेमाल करना सही नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सैनिटाइजर के लिए एक फॉर्मूला दिया है और उसके हिसाब से ही इसका उत्पादन होना चाहिए। अगर वो इथेनॉल की मात्रा कम कर देंगे तो ये काम नहीं करेगा। छापे मारकर इस पर नियंत्रण किया जाएगा। इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन को जरूरी आदेश दिए गए हैं।’

डॉ कामथ कहते हैं, ‘केंद्र सरकार ने हमारे अध्ययन का संज्ञान लिया है। सरकार ने हमें पूरी जानकारी देने के लिए कहा है। हमने अपनी रिपोर्ट फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन को दे दी है। सरकार को इस मामले में जल्द कदम उठाने की जरूरत है। ये जनता की सेहत का मामला है।’

डॉ. कपूर कहते हैं, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के तहत सैनिटाइजर में खुशबू नहीं होनी चाहिए। उसपर एक्सपायरी डेट साफ-साफ लिखी होनी चाहिए, निर्माता के लाइसेंस का नंबर साफ-साफ लिखा होना चाहिए। साथ ही पीएच लेवल 6-8 प्रतिशत होना चाहिए और रोगाणुओं को मारने की क्षमता लगभग 99.9 प्रतिशत होनी चाहिए।’
कौन सा सैनिटाइजर खरीदना चाहिए?

मुंबई के एक त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. बिंदू स्टालेकर कहते हैं, ‘लोगों को सैनिटाइजर खरीदते वक्त जरूरी सावधानी बरतनी चाहिए। सैनिटाइजर में इथाइल अल्कोहल की मात्रा 70 प्रतिशत से ज्यादा हो तो अच्छा है। कई बार अल्कोहल हाथों को रूखा बना सकता है। इसलिए ग्लिसरीन वाला सैनिटाइजर ठीक रहता है। साथ ही जिन्हें अक्सर एलर्जी हो जाती है, उन्हें खुशबू वाले सैनिटाइजर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।’

रिसर्चरों को धमकी भरे फोन कॉल आए

कंज्यूमर गाइडेंस सोसायटी ऑफ इंडिया के डॉ. कामथ कहते हैं, ‘जब हमने सैनिटाइजर पर रिपोर्ट दी, तो उसके बाद मुझे 4-5 धमकी भरे फोन आए। इस तरह की रिसर्च के बाद ऐसे फोन आना सामान्य सी बात है। उन्होंने हमें धमकी दी कि वो मानहानी का मुकदमा कर देंगे, उन्होंने कहा कि हमने गलत जानकारी दी है और हमें इसपर सफाई देनी चाहिए। हमें ऐसे कई कॉल आए, लेकिन इस तरह की धमकियों से डरे बगैर हमने लोगों के लिए काम किया।’

क्या सावधानी बरतनी चाहिए
नॉन अल्कोहलिक उत्पाद कोविड -19 के खिलाफ उपयोगी नहीं हैं।
सैनिटाइजर बच्चों से दूर रखें।
इंजेक्शन से जहरीला प्रभाव हो सकता है।
सैनिटाइजर खरीदते वक्त कंपनी का नाम और एक्सपायरी डेट देखनी चाहिए।
सैनिटाइजर खरीदने से पहले लोगों को उसपर छपे निर्देश ध्यान से पढ़ने चाहिए।

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