नई दिल्ली। हम नए साल के दहलीज पर खड़े हैं। यहां हम ये देखने की कोशिश कर कर रहे हैं कि नए साल में कौन ऐसे खास ट्रेंड होंगे जो आपके पर्सनल फाइनेंश पर अपना असर डाल सकते हैं। हमारे विश्लेषण के मुताबिक नए साल में तीन अहम ट्रेंड होंगे जो हमारे और आपके पर्सनल फाइनेंश पर अपना असर डालते दिखेंगे।

 

BNPL:(बीएनपीएल) यानी बाय नाऊ एंड पे लेटर फाइनेंशियल सर्विसेज का सबसे ज्यादा चलन वाला शब्द बन गया है। इसका सीधा सा मतलब ये है कि आप अपनी आज की जरूरत की चीज आज खऱीद कर इसका भुगतान आसान ब्याज मुक्त किस्तों में बाद में कर सकते हैं। इसकी शुरूआत e-commerce कंपनियों, रिटेल आउटलेट्स और फिनटेक कंपनियों की तरफ से की गई। बाद में बैंकों भी क्रेडिट कार्ड पर ये सुविधाएं देने लगे।

 

BNPL बैसिक तौर पर ब्याज मुक्त किस्तों में भुगतान की सुविधा देता है ये किस्ते 3-6 महीनों तक की हो सकती हैं। इसमें केवाईसी की जरूरत होती है लेकिन इनमें पिछली क्रेडिट हिस्ट्री या क्रेडिट स्कोर की जरूरत नहीं होती। इसमें कुछ मिनटों या घंटों में ही अप्रूवल मिल जाता है। इसका मकसद ऐसे उपभोक्ताओं तक पहुंच बढ़ाना है जिनके पास क्रेडिट कार्ड की सुविधा नहीं है लेकिन वे तुलनात्मक रुप से कोई महंगी खरीद करना चाहते हैं।

 

उदाहरण के लिए Slice बिना किसी एक्सट्रा चार्ज के 3 मंथ पेमेंट विंडो देता है। ध्यान में रखें कि रेग्यूलर क्रेडिट कॉर्ड सिर्फ 50 दिनों का क्रेडिट पीरियड ऑफर करते हैं। credit cards के विपरीत Slice में कोई एनुअल फी भी नहीं है। वहीं, इसकी क्रेडिट लिमिट बगैर किसी फार्मल क्रेडिट स्कोर के 10 लाख रुपए तक जा सकती है। इसके साथ रिवॉर्ड और बिल स्प्लिट करने जैसी सुविधाएं भी हैं। इसका टार्गेट ऑडिएंस कमाने वाला युवा वर्ग है। इसके लिए कुछ ही मिनट में अप्रूवल मिल जाता है और कुछ ही दिनों मे इसकी डिलिवरी भी हो जाती है।

 

 

Think360.ai के अमित दास का कहना है कि BNPL एक पुराना कंसेप्ट है जिसकी Slice जैसे कार्ड के रुप में री-पैकिंग की गई है। अगर इनको सही तरीके से यूज किया जाए तो इससे कैश और लिक्विडिटी की जरूर को अच्छे से मैनेज किया जा सकता है। नहीं तो BNPL दुधारी तलवार साबित हो सकता है। अगर आप इसका उपयोग अपनी तत्कालीन जरूर को पूरा करने के लिए करते हैं तो आपको उतनी ही खरीदारी करनी चाहिए जिसका आप सही समय पर भुगतान कर सकें। इसके साथ ही आपको सही समय पर किस्तों का भुगतान भी करते रहना चाहिए। इन कार्डों की क्रेडिट लिमिट आपकी सही खर्च क्षमता से कहीं ज्यादा हो सकती है ऐसे में बिना सोचे-समझे किया गया खर्च आपको मुश्किल में डाल सकता है। आपके सामने ऐसी स्थिति भी आ सकती है जिसमें आपकी सैलरी किस्तों का भुगतान करने में कम पड़ जाए। यह भी ध्यान रखें कि इंटरेस्ट फ्री अवधि बीतने के बाद आपको इन कार्डों से की गई खरीद पर 30 फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज देना पड़ेगा।

 

ETFs: करोना महामारी काल में एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के जरिए रिटेल इंवेस्टमेंट के ट्रेंड में जोरदार बढ़त देखने को मिली है। इस कटेगरी के तहत आने वाली टोटल एयूएम (assets under management) नवंबर 2020 के अंत के 230,000 करोड़ रुपए से बढ़कर नवंबर 2021 में 364,000 करोड़ रुपए पर आ गई है। इस एस साल की अवधि में इसमें 58 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जबकि इसी अवधि में ओपन एंडेड एमएफ की एसेट में 29 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली है। इस समय डेट कटेगरी (debt category) की 17 स्कीम हैं जिनकी अनुमानित एयूएम 50,000 करोड़ रुपए है।

 

ETF व्यक्तिगत निवेशकों के लिए एक कम लागत वाले सुविधाजनक निवेश विकल्प हैं। ये ऐसे लोगों को ज्यादा अच्छे लगते हैं जो डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए निवेश करना पसंद करते हैं। Mirae Asset Investment Managers (India) के स्वरूप मोहंती का कहना है कि इस सेगमेंट में आने वाली ग्रोथ किसी भी इक्विटी मार्केट की स्वाभाविक प्रक्रिया है और भारत में भी हमें यही देखने को मिल रहा है। एक्टिव स्कीमों में इनोवेशन के लिए बहुत कम संभावनाएं होती हैं क्योंकि रेग्यूलेटर के दायरे में आने वाली कटेगरी पहले से ही बहुत भरी हुई है। भारतीय एसेट मैनेजर और निवेशक भारतीय बाजार के लिए सबसे बेहतर सोल्यूशन के लिए विदेशी थीम आधारित और स्मार्ट बीटा ETF के अनुभावों का फायदा उठा सकते हैं।

 

 

कई रूल बेस्ड घरेलू और विदेशी बाजार के ईटीएफ SEBI से अप्रूवल की लाइन में लगे हैं। ऐसे में आपको सावधानी के साथ अपने लिए उपयुक्त ऐसी थीम का चुनाव करना होगा जिसको आप अच्छी तरह से समझते हैं।

 

Neobanks:नियोबैंक अथवा डिजिटल बैंक भारतीय पर्सनल फाइनेंस स्पेस के उभरते हिस्से हैं। परंपरागत बैंकों के विपरीत नियोबैंक अथवा डिजिटल बैंक अपने ऐप के जरिए ही डिजिटल तरीके से आपको तमाम सुविधाएं देते हैं। ये नई पीढ़ी के बैंक अपने कस्टमरों को एक से दूसरे को पैसे भेजने, बजटिंग टूल्स या इंस्टेंट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन, पेमेंट रिमाइंडर और डिजिटल रशीद जैसी सुविधा बहुत ही कम लागत में देते हैं।

 

नियोबैंक अथवा डिजिटल बैंक वास्तव में एक फिनटेक कंपनी होते हैं जिनका परंपरागत बैंकों के साथ करार होता है। इसी करार के तहत ये अपने ग्राहकों के ये सारी सुविधाएं देते हैं। ये फिन टेक कंपनियां अपने ग्राहकों को ये सुविधाएं देनें के लिए आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस (AI)आधारित तकनीक का भी इस्तेमाल करती हैं। हालांकि हाल के दिनों में तेज बैंकिंग सेवाओं की मांग बढ़ती दिख रही है लेकिन नियोबैंक अभी भी एक ही प्लेटफार्म पर सभी सेवाओं को देनें में सक्षम नहीं हैं। हालांकि नई पीढ़ी के युवाओं के लिए ट्रांजेक्शन की तेजी, कम लागत और एक नया डिजिटल एक्सपीरियंस इस ट्रेंड को ईंधन देने का काम कर सकता है जिससे आगे इसमें तेजी आती नजर आ सकती है।

 

आने वाले महीनों और सालों में ये पर्सनल फाइनेंस ट्रेंड आपको और आपके परिवार के युवा सदस्यों को प्रभावित करेंगे। 2022 इन ट्रेंड की दिशा और गति का अंदाजा लगाने के नजरिए से काफी अहम होगा।

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