नई दिल्ली।  त्योहार हो और खरीदारी न हो तो बात अधूरी जैसी लगती है। धनतेरस और खुशियों की दीपावली नजदीक है। त्योहाराें में तो खरीदारी होगी ही, दससे पहले भी विशेष मुहूर्त बन रहा है। गुरुवार 28 अक्टूबर को पूरे दिन और रात पुष्य नक्षत्र रहेगा। गुरुवार होने से इसे गुरु पुष्य योग कहा जाएगा। पूरे दिन में अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

सदियों बाद ऐसा भी योग आया है जब गुरु पुष्य नक्षत्र पर गुरु व शनि का दुर्लभ योग बना है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। शनिवार को या शनि के नक्षत्र में जो भी काम किया जाता है। वह लंबे समय तक चलता है। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक दीपावली से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष को आने वाले पुष्य नक्षत्र में नई वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदारी शुभफल देने वाली होती है।

677 साल बाद बना दुर्लभ योग

इस साल गुरु व शनि दोनों ग्रह एक साथ मकर राशि में हैं। मकर शनि के स्वामित्व वाली राशि है। दोनों ग्रह मार्गी यानी सीधी चाल चल रहे हैं। दोनों पर चंद्रमा की दृष्टि बनी हुई है। इससे गजकेसरी योग भी बनेगा। चंद्र धन का कारक ग्रह है और यह योग सभी प्रकार से मंगलकारी होगा। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि 677 वर्ष पहले पांच नवंबर, 1344 को गुरु-शनि की युति मकर राशि में थी। तब गुरु पुष्य योग बना था। इस वर्ष तीन गुरु पुष्य योग हैं। पहला 30 सितंबर को हुआ था। 28 अक्टूबर के बाद 25 नवंबर को वर्ष का आखिरी गुण्य पुष्य योग रहेगा।

दान-पुण्य का महत्व

पुष्य नक्षत्र पर खरीदारी के साथ ही दान-पुण्य का भी महत्व बताया गया है। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि जरूरतमंद लोगों को नए वस्त्र, अनाज, जूते-चप्पल व धन आदि दान करना चाहिए। गोशाला में हरी घास व गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। शिव पूजन के साथ भगवान भोलेनाथ को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

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