नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण तेल की डिमांड में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण कच्चे तेल का भाव (Crude Oil Price) दो दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया। रूस और सऊदी के बीच जारी प्राइस वार को लेकर कीमत पर दबाव और ज्यादा बढ़ा है। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और लाखों बैरल वाले तेल रिजर्व को पूरी तरह भर लिया है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत अब सस्ती कीमत पर अमेरिकी तेल खरीद कर उसे अमेरिका में ही स्टोर करेगा, क्योंकि यहां के भंडार पूरी तरह भर गए हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा ही कदम उठाया है

भारत का यह प्लान ऑस्ट्रेलिया द्वारा उठाए गए प्लान की तरह है। ऑस्ट्रेलिया भी तेल का बहुत बड़ा आयातक है और उसने अप्रैल महीने में कहा था कि वह इस मौके का फायदा उठाएगा और सस्ता कच्चा तेल खरीदेगा, फिर उसे अमेरिकी स्ट्रैटिजीक पेट्रोलियम रिजर्व में स्टोर करेगा।

दूसरे देशों में फसिलटी की तलाश

प्रधान ने कहा कि सरकार फिलहाल दूसरे देशों में इस तरह की सुविधा की संभावनाएं तलाश रही है। बता दें कि 2020 में कच्चे तेल के भाव में रीब 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि पिछले कुछ सप्ताह में कीमत में तेजी आई है। जुलाई अनुबंध वाले कच्चे तेल की कीमत अभी 36 डॉलर प्रति बैरल पर चल रही है। 28 अप्रैल को यही कीमत 21 डॉलर के करीब थी।

9 मिलियन टन तेल जहाजों में स्टोर

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल का कंज्यूमर है और आयातक है। प्रधान ने कहा कि सस्ती कीमत का फायद उठाते हुए हमने 5.33 मिलियन टन वाले स्ट्रैटिजीक स्टोरेज को भर लिया है। 9 मिलियन टन तेल अभी जहाजों में स्टोर है जो विश्व के अलग-अलग हिस्सों में है।

80 फीसदी आयात

भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। प्रधान ने कहा कि भारत ने जितना स्टोर किया है वह जरूरत का करीब 20 फीसदी है। सरकार स्ट्रैटिजीक स्टोर को 1 मिलियन टन से बढ़ाने पर विचार कर रही है।

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