बर्लिन। जर्मनी में वैज्ञानिकों ने के लिए बारीकी से टेस्टिंग की तो पता चला कि कैंटीन में जब एक कर्मचारी ने दूसरे को नमक की शीशी दी, तो उसके जरिए कोरोना वायरस ट्रांसफर हो गया। ये सब सिर्फ इसलिए मुमकिन हो सका, क्योंकि इस मामले में हर छोटी-बड़ी चीज का ध्यान रखा गया, जिसकी वजह से वैज्ञानिकों को पूरी चेन का पता चल सका।

मामला जर्मनी के बावरिया में म्यूनिक के पास की नगरपालिका स्टॉकडोर्फ का है। स्टॉकडोर्फ की आबादी करीब 4000 की है। यहां रहने वाले ही कुछ लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए, जो वेबस्टो ग्रुप नाम की कार के पार्ट्स सप्लाई करने वाली कंपनी में काम करते हैं। इस कंपनी पर दुनिया का ध्यान तब खिंच, जब लोगों को पता चला कि एक चीनी महिला को कोरोना वायरस हुआ था और फिर उसी से यह वायरस वेबस्टो के हेडक्वार्टर पहुंचा। वहां पर यह एक शख्स से दूसरे को होता गया, जिसमें कैंटीन में खाना खाने वाले भी शामिल थे, जिनका मरीज से सीधे कोई संपर्क भी नहीं था।

मामला इतनी तेज बढ़ा कि वैज्ञानिकों को इसमें अपने हाथ डालने पड़े और उन्होंने एक बारीक टेस्टिंग स्टार्ट की, संक्रमित लोगों को आइसोलेट करना शुरू कर दिया और इस बात की भी जांच शुरू कर दी गई ये कैसे फैला। वैज्ञानिक इस पूरी चेन का पता लगाने में जुट गए। इस पूरी प्रक्रिया से जर्मनी को कोविड-19 से लड़ने के लिए अच्छा खासा समय मिल गया। बल्कि वैज्ञानिकों का तो ये भी कहना है कि इसने बहुत सारे लोगों की जिंदगी बचाने का काम किया।

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