Guru asta 2022: ग्रहों के राजा सूर्य देव 13 फरवरी को कुंभ राशि में गोचर कर चुके हैं. सूर्य के इस राशि में आते ही यहां पहले से मौजूद गुरु की शक्तियां क्षीण हो गई हैं.  सूर्य के प्रभाव से बृहस्पति ग्रह यानि गुरु 19 फरवरी कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे, जो 20 मार्च, 2022 को इसी राशि में अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ जाएंगे. ज्योतिष के अनुसार 32 दिन तक गुरु अस्त की इस स्थिति के दौरान कुछ राशि के जातकों के सतर्क रहने की सलाह दी गई है.

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इतने बजे अस्त हो रहे गुरु
गुरु 19 फरवरी, 2022 दिन शनिवार को सुबह 11 बजकर13 मिनट पर कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे, जो 20 मार्च, 2022 दिन रविवार को सुबह 9 बजकर 35 मिनट तक इसी राशि में अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ जाएंगे.

राशियों पर क्या रहेगा प्रभाव 

मेष (Aries): मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें और बारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके ग्यारहवें भाव में अस्त होगा. इस राशि के जातकों को थोड़ा संभलकर रहने की सलाह दी गई है. इन जातकों को कार्यस्थल पर कड़ी मेहनत करने के बावजूद आपके और आपके वरिष्ठों के बीच कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं. साथ ही आपको काम के सिलसिले से जबरन विदेश यात्रा पर भेजा जा सकता है. जिसके कारण आप थोड़ा असंतुष्टि का अनुभव करेंगे.

वृषभ (Taurus): वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके दसवें भाव यानी कि कर्म भाव में अस्त होगा. इस राशि के जातकों को अपने प्रयासों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. पेशेवर रूप से कार्यस्थल का असंतोषजनक माहौल आपकी चिंता का कारण बन सकता है.

मिथुन (Gemini): मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव का स्वामी है और यह उनके नौवें भाव में अस्त होगा.  पेशेवर रूप से इस राशि के जातकों के लिए करियर में प्रगति संभव है. यदि आप साझेदारी में व्यापार कर रहे हैं तो इस अवधि में साझेदार के साथ संबंध में कुछ समस्याएं आ सकती हैं, जिसका असर आपके व्यापार पर भी पड़ेगा.

कर्क (Cancer): कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव का स्वामी है और यह उनके आठवें भाव में अस्त होगा. इस अवधि में कर्क राशि वालों को कार्यों में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. आप छोटे कार्यों को पूरा करने में भी अधिक समय ले सकते हैं.

सिंह (Leo): सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और यह उनके सातवें भाव में अस्त होगा.  इस राशि के जातकों के मित्रों व प्रियजनों के साथ संबंध ख़राब हो सकते हैं. साथ ही आपकी छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है.

कन्या (Virgo):  कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति चौथे और सातवें भाव का स्वामी है और यह उनके छठे भाव में अस्त होगा. इस राशि के जातकों पर वरिष्ठों द्वारा काम का अधिक दबाव डाला जा सकता है. साथ ही नौकरी में बदलाव होने की भी संभावना अधिक है. यदि ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं तो इस अवधि में हानि होने की आशंका अधिक है.

तुला (Libra):  तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और यह उनके पांचवें भाव में अस्त होगा. इस दौरान कार्यस्थल पर काम के मामले में सहजता बनी रहेगी लेकिन वरिष्ठों के साथ आपके संबंध में कुछ समस्याएं आ सकती हैं और यह आपकी चिंता का मुख्य कारण होगा. खुद का व्यवसाय चला रहे हैं तो इस अवधि में आपको लाभ तो होगा लेकिन हो सकता है कि आपकी अपेक्षा से थोड़ा कम हो.

वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी है और यह उनके चौथे भाव में अस्त होगा. इसके कारण आपको आर्थिक समस्याओं से भी गुज़रना पड़ सकता है. पेशेवर रूप से कार्यस्थल पर आपको कुछ समस्याएं जैसे कि आपके काम की सराहना न किया जाना, सहकर्मियों का अधिक सहयोग न मिलना आदि का सामना करना पड़ सकता है.

धनु (Sagittarius): धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम/लग्न और चौथे भाव का स्वामी है और यह उनके तीसरे भाव में अस्त होगा. इसके कारण  आपको धीमी गति से परिणाम प्राप्त होंगे. जबरन तबादले या नौकरी छूटने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही किसी कारणवश मौजूदा कार्यस्थल पर आपकी प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है.

मकर (Capricorn):  मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके दूसरे भाव में अस्त होगा. इसके कारण आपके पारिवारिक जीवन में कुछ समस्याएं आ सकती हैं. आपको अपने वरिष्ठों के साथ संबंध में कुछ मतभेदों का सामना पड़ सकता है. हो सकता है कि नौकरी में आप जिस चीज़ की उम्मीद लगाए बैठे हों, वह आपको न मिले.

कुंभ (Aquarius):  कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके प्रथम यानी कि लग्न भाव में अस्त होगा. इसके कारण आपको अपने जीवन में कुछ असफलताओं और अचानक बदलावों का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान आपके सामने कुछ ऐसी समस्याएं आ सकती हैं, जिसकी आपको उम्मीद भी नहीं होगी जैसे कि नई नौकरी में बदलाव, आपके काम को पहचान न हासिल होना और एक ही नौकरी में जगह-जगह स्थानांतरण आदि.

मीन (Pisces): मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम और दशम भाव का स्वामी है और यह उनके बारहवें भाव में अस्त होगा. इस दौरान काम के अत्याधिक दबाव के कारण आपको मानसिक तनाव हो सकता है. फलस्वरूप आप अपने काम में रुचि खो देंगे. ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं तो इस दौरान आपको ‘ना लाभ, ना हानि’ की स्थिति से गुज़रना पड़ सकता है. ऐसे में किसी नए व्यवसाय की शुरुआत करना एक ग़लत कदम साबित हो सकता है.

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