मीरजापुर। भले ही जनपद में बारिश न हो रही हो, लेकिन गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे सीमावर्ती लोगों में धुकधुकी बढ़ गई है। गत चार दिन में ही महज तीन मीटर जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। प्रशासन ने नाविकों व स्नान करने वालों को चेतावनी दी है कि वह गंगा में न जाएं। वहीं 24 घंटे के अंदर जलस्तर में करीब पौने दो मीटर की वृद्धि हुई है। उत्तराखंड के यमुना में पानी बढ़ने से यहां भी उसका असर दिखने लगा है।

गत मंगलवार को जलस्तर 71.34 मीटर दर्ज किया गया था, जबकि शुक्रवार शाम को 74.44 मीटर दर्ज किया गया। पिछले एक सप्ताह से पानी बढ़ने का सिलसिला जारी है। जलस्तर में बढ़ोत्तरी से नाविकों को भी सतर्क कर दिया गया है। इसके अलावा गंगा में नहाने वालों को सचेत किया गया है कि धाराएं तेज हो गई हैं, इसलिए जो लोग गंगा में प्रतिदिन नहाने जाते हों, वे सतर्क रहें और भरसक जाने से बचें। घाट किनारे पूजा-पाठ करने वाले लोग ही जाएं और वे भी केवल मंदिरों में पूजा-पाठ कर लौट आएं। हालांकि गंगा का जलस्तर अभी भी चेतावनी बिंदु 76.724 के निशान से 2.34 मीटर नीचे हैं, जबकि 77.724 मीटर खतरा-बिंदु है।

एडीएम नमामि गंगे अमरेंद्र बहादुर सिंह ने लोगों से गंगा किनारे न जाने की अपील की है। नगर के पक्केघाट, बरियाघाट, कचहरी घाट, विंध्याचल के दीवान घाट, आदि घाटों की कई सीढ़ियां पानी के अंदर समाने लगी है। उधर, बाढ़ की स्थिति पैदा होते देख किसानों को फसलों की चिंता सताने लगी है। सदर तहसील क्षेत्र में 220 और चुनार तहसील क्षेत्र में 184 गांवों को मिलाकर जनपद में लगभग 404 गांव बाढ़ प्रभावित के रूप में चिह्नित हैं। इनमें छानबे, सिटी, कोन, मझवां, पहाड़ी के अलावा नरायनपुर विकास खंड के तटवर्ती इलाके के गांव शामिल हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित छानबे, कोन व सीखड़ विकास खंड के गांव होते हैं।

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