कलकत्ता: दुर्गा पूजा आयोजन समितियों को राज्य सरकार की ओर से साठ हजार रुपए रुपये की सरकारी सहायता दिये जाने को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सरकार की इस घोषणा के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से सहायता दिये जाने की वजह स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार को कारण बताने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
कलकत्ता HC के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में सोमवार को मले की सुनवाई हुई। दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अनुदान क्यों दिया जा रहा है।
सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि
इस संबंध में महाधिवक्ता (AG) सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। विरोधी पक्ष के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ”मुख्यमंत्री (CM) ने बैठक बुलाकर अनुदान की घोषणा की है। पैसे देने का काम शुरू हो चुका है।” इसके बाद दोनों जजों ने कहा कि राज्य सरकार 5 सितंबर तक एक हलफनामा पेश करे और पूजा में डोनेशन का कारण बताए। कोर्ट ने आगे कहा कि मामले की सुनवाई उसी दिन होगी।
उल्लेखनीय है कि ममता सरकार के इस फैसले के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अब तक तीन जनहित याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। इन याचिकाओं में राज्य की 43 हजार दुर्गा पूजा समितियों को 60-60 हजार रुपये का सरकारी अनुदान दिये जाने के औचित्य पर सवाल उठाये गये हैं। सवाल यह भी है कि जहां राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं दे पा रही है, वहीं पूजा समितियों पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही है?