जयपुर: जयपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो ने ड्रग इंस्पेक्टर को पांच हजार रुपये घूंस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया है. जैसे ही उस इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया गया, उसने दो टूक कह दिया कि अकेले मेरे लिए नहीं है, ऊपर तक देना पड़ता है, नहीं देने पर कहते हैं कि बीकानेर ट्रांसफर करवा देंगे.
गिरफ़्तार इंस्पेक्टर के पास जयपुर के 500 मेडिकल स्टोर के निरीक्षण की ज़िम्मेदारी थी और वो हर एक स्टोर से हर महीने पांच-पांच हज़ार रुपये की वसूली करती थी. दस दिन पहले ही एंटी करप्शन ब्यूरो के पास एक दवा दुकान मालिक ने शिकायत की थी कि कई सालों से ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी 5 हजार रुपये लेती है.
गिरफ़्तार इंस्पेक्टर ने कभी किसी दवा दुकान की जांच नहीं की, बस उनका डिमांड होता है कि घर आकर पैसे दे जाओ. छोटे मोटे काम भी कराने होते हैं तो हर काम के लिए पैसे मांगती हैं. ड्रग स्टोर में या दवा दुकान में कोई नया कर्मचारी भी रखना है तो उसके बदले भी पैसे मांगती थी क्योंकि नियम के अनुसार राज्य इंस्पेक्टर को जानकारी देनी होती है. एंटी करप्शन ब्यूरो ने लगातार सात दिनों तक इस शिकायत की जांच की और सही पाया, तब 10 हज़ार रुपये की रिश्वत मांगने वाली सिंधू कुमारी को ट्रैक करने के लिए एक जाल बिछाया. एंटी करप्शन ब्यूरो ने आरोपी इंस्पेक्टर को एक रेस्टोरेंट में पैसे लेने के लिए बुलाया और वहां पर रंगे हाथों पकड़ लिया. सिंधू कुमारी मूलतः बिहार की रहने वाली है .
ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी जब रिश्वत ले रही थी तब मेडिकल विभाग में मीटिंग चल रही थी .उन्हें बुलाया जा रहा था मगर वह रिश्वत लेने के लिए रेस्टोरेंट पहुंच गईं .बताया जाता है कि सिंधू कुमारी की ड्रग विभाग में काफी चलती थी. जयपुर के सबसे बड़े मेडिकल कारोबार बाज़ार सेठी कॉलोनी का जिम्मा भी इसके पास था.
इंस्पेक्टर होने के बावजूद गाड़ी और ड्राइवर जैसी सुविधाएं भी दी गई थीं. पिछली बार कोरोना में जब रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट पैदा हुआ था तब भी उसकी पूरी जिम्मेदारी ड्रग विभाग ने ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी को ही दी थी. अब सिंधू कुमारी के आरोपों से ड्रग विभाग में हलचल मच गई है. एंटी करप्शन ब्यूरो इस मामले की छान-बिन कर ऊपर के अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने जा रही है.