रांची। एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ०  एस. सुबैया ने सोमवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से  “हिन्दू राष्ट्र और भारतीय संस्कृति की प्रदर्शनी चोल साम्राज्य”  पर अपनी बात रखी । उन्होंने कार्य करने के तरीके को बताते हुए कहा कि “ऊबना नहीं चाहिए ,थकना नही चाहिए बस करते रहना चाहिए। इस संकट के घड़ी में हमें खुद को तैयार करने का मौका मिला है, एकांत में साधना करने का अवसर प्राप्त हुआ है ,जिसमें स्वयं अनुशासित रहना होगा और लोगों को भी अनुशासित रहने के लिए प्रेरणास्रोत बनना होगा।

उन्होंने कहा  कि कोई भी राष्ट्र और उसके समाज अपने इतिहास से प्रेरित होता है और भविष्य के लिए पाठ सीखाता है। दुख की बात है कि भारत के इतिहास के बारे में जो इस देश के साहित्य में है, वो तिरस्कृत हो गए हैं। जो भी इतिहास हमें मिलती है वो दूषित है तथा त्रुटियों से परिपूर्ण है। भाषा भी इतना बदलाव हुआ है कि अपने साहित्य और सिक्का, शिलालेख, ताम्रपत्र, एतिहासिक खुदाई इत्यादि में जो विवरण इतिहास के संबंध में मिलता है वे पाश्चात्य, पादरी या वामपंथी इतिहास-कारों द्वारा गलत और विकृत रूप में बताया गया कथनात्मक है। । राष्ट्र पुन:निर्माण होना है तो सच्चाई को समझना होगा ।

उन्होंने कहा  कि  ” मैं मानता हूँ कि हिन्दू राष्ट्र और भारतीय संस्कृति की प्रतीक और प्रदर्शनी है चोल साम्राज्य। भारत में साम्राट अशोक के समय से अलावुद्दीन खिलजी के समय तक हुए चोल वंशावली पूरी दुनिया के लंबी वंशावली है। एक चिड़िया को बाज़ से बचाने के लिए अपने शरीर के मांस दिया सिबि चक्रवर्ती और उसके नाम से आया सेंबियन यानी चोला। एक बछडा के निधन के लिए न्याय देने के लिए अपने पुत्र को मृत्यु दण्ड दिया मनु नीति चोल।

इस व्याख्यान को मात्र एक घंटे में 10 हजार से ज्यादा लोगों ने सुना तथा इसकी पहुंच 30 हजार से ज्यादा लोगों तक हुई और एक हजार लोगों ने तत्काल प्रतिक्रिया दिया ।

इस दौरान प्रान्त अध्यक्ष प्रो नाथू गाड़ी, संगठन मंत्री श्री याज्ञवल्क्य शुक्ला, प्रदेश मंत्री राजीव रंजन देव पांडेय, सोशल मीडिया के all india co-convenor दीपेश कुमार,राष्ट्रीय मंत्री विनीता कुमारी,विशाल सिंह,सह मंत्री नवलेश कुमार,मोनु शुक्ला,मनोज सोरेन,बपन घोष,NEC सदस्यविनीत पांडेय,संजय मेहता,प्रदेश पदाधिकारी गण, विभाग संयोजक, जिला संयोजक, शिक्षक कार्यकर्ता सहित अन्य कार्यकर्ता गण लाइव उपस्थित थे। यह जानकारी प्रांत कार्यालय सह मंत्री मुक्ता नारायण ने दी।

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