New Delhi : भारत ने अपने स्वदेशी सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम, नाविक (NavIC) को लॉन्च करने की आवश्यकता को महसूस किया है। यह सिस्टम भारत को विदेशी तकनीक पर निर्भरता से मुक्त करेगा और देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा।

स्वायत्तता और स्वतंत्रता की आवश्यकता: भारत को अपने नैविगेशन सिस्टम की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि वह अमेरिका के जीपीएस और रूस के ग्लोनास पर निर्भर था। तनावपूर्ण स्थितियों में, विदेशी शक्तियाँ अपने नैविगेशन सिस्टम का उपयोग बंद कर सकती हैं, जिससे भारत की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत की जीपीएस सहायता की मांग को नकार दिया था, जिससे स्वदेशी सिस्टम की आवश्यकता का एहसास हुआ।

सटीकता और विश्वसनीयता: नाविक सिस्टम भारत में 10 मीटर की सटीकता प्रदान करेगा, जबकि भारत के बाहर यह 20 मीटर तक सटीक होगा। यह सटीकता परिवहन, आपदा प्रबंधन, कृषि, और सैन्य संचालन में महत्वपूर्ण है।

सैन्य और नागरिक उपयोग: वर्तमान में, नाविक सिस्टम का उपयोग मुख्य रूप से सैन्य क्षेत्रों में किया जा रहा है। लेकिन जैसे-जैसे एनवीएस सैटेलाइट्स की संख्या बढ़ेगी, यह नागरिक उपयोग के लिए भी उपलब्ध होगा, जिससे आम लोगों को भी सटीक नैविगेशन सेवाएँ मिल सकेंगी।

वैश्विक कवरेज की योजना: भारत का यह नैविगेशन सिस्टम भविष्य में वैश्विक स्तर पर फैलने की योजना बना रहा है। इसके लिए 24 सैटेलाइट्स का एक कॉन्स्टलेशन स्थापित किया जाएगा, जिससे यह जीपीएस और ग्लोनास की तरह वैश्विक स्तर पर नैविगेशन सेवाएँ प्रदान कर सकेगा।

आर्थिक और तकनीकी विकास: स्वदेशी नैविगेशन सिस्टम के विकास से भारत की तकनीकी क्षमता में वृद्धि होगी और यह देश को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा, क्योंकि यह विभिन्न उद्योगों में नई संभावनाएँ खोलेगा।

निष्कर्ष: इस प्रकार, नाविक प्रोजेक्ट का लॉन्च भारत को न केवल तकनीकी और कूटनीतिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा, बल्कि यह देश की सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक स्थिति को भी मजबूत करेगा।

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