Ranchi : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झालसा रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा 58 लंबित मामलों को निष्पादन किया गया। वहीं, मामले से जुड़े रांची सेंट्रल जेल में बंद कुछ कैदियों को आजाद कर दिया गया। इसके काम के लिए होटवार जेल में जेल अदालत-सह-विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया किया गया था। रांची व्यवहार न्यायालय के न्यायायुक्त दिवाकर पांडेय के नेतृत्व में न्यायिक पदाधिकारियों की कमिटि गठित की गयी थी। इस कमिटि में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चंदन, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार कमलेश बेहरा समेत अन्य न्यायिक दंडाधिकारियों को शामिल किया गया था। जेल आदलत में निष्पादित होने वाले मुकदमों तथा बंदियों का चयन किया गया, जिसकी सूची तैयार करने में LADC के सदस्यों में वीरेंद्र प्रताप और सौरभ पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। न्यायिक दंडाधिकारियों के समक्ष चयनित मुकदमों को जेल अदालत में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रखा गया, जिसमें 58 वादों का निष्पादन जेल अदालत में किया गया और संबंधित बंदियों को जेल से रिहा कर दिया गया। जेल अदालत-सह-विधिक जागरूकता शिविर में न्यायायुक्त रांची दिवाकर पांडेय ने बंदियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। साथ ही बंदियों की समस्या को सुना एवं तुरंत निराकरण के लिए वहां मौजूद जेल कर्मियों को निर्देश दिय। महिला न्यायिक दंडाधिकारी सदस्यों द्वारा महिला कक्ष में बंदियों से खास मुलाकात कर विधिक सहायता एवं चिकित्सा से संबंधित जानकारी ली गई। विधिक जागरूकता शिविर में विधि के 15 छात्र-छात्राएं भी शामिल थे।

इस जेल अदालत-सह-विधिक जागरूकता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि रांची के न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार दिवाकर पांडेय, अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश राजेश कुमार सिंह, अतिरिक्त न्यायायुक्त आशिफ इकबाल, चन्द्रभानू, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कमलेश बेहरा, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राकेश रंजन, अक्षत श्रीवास्तव, राजकुमार पाण्डेय, दिग्विजय नाथ शुक्ला, शंभू महतो, मनोज इन्दवार, गौतम गोविन्दा, अभिशेक श्रीवास्तव, सौरभ त्रिपाठी, निबंधक, प्रशान्त कुमार वर्मा, विजय कुमार यादव, रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी, मान्या टंडन, श्रुति सोरेन, परिधि शर्मा, कंचन कुमारी, अर्चना मिश्रा, एकता सक्सेना, स्मृति रुपम टोपनो तथा दिव्या राघव मौजूद थे। वहीं पूरे कार्यक्रम के दौरानरांची सेंट्रल जेल के काराधीक्षक, कारापाल, कारा लिपिक, काराकर्मी और एल.ए.डी.सी. के सदस्य तथा न्यायालयकर्मी तथा बंदीगण उपस्थित थे।

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