भोपाल। मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अंधविश्वास फैलाने के आरोपों के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप के बीच अब राजनेताओं की भी एंट्री हो गई है। एक तरफ जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने खुलकर धीरेन्द्र शास्त्री का समर्थन किया है और उन पर लगे आरोपों को गलत बताया है। नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ गोविंद सिंह ने धीरेन्द्र शास्त्री को घेरते हुए आरोपों के जवाब प्रमाणिकता के साथ देने की बात कही है।

बुरहानपुर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शुक्रवार रात मीडिया से बातचीत करते हुए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर चल रहे विवाद पर उनका समर्थन करते हुए बड़ा बयान दिया है। विजयवर्गीय ने कहा कि मैंने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सन्यासी बाबा का इंटरव्यू देखा व सुना है। उन्होंने कहा है कि मेरा चमत्कार नहीं है, मेरे ईस्ट का चमत्कार है। मैं उन ईष्ट का नाम लेता हूं, जिससे लोगों की समस्या का निराकरण हो जाता है। ऐसे तो जावरा की टेकरी (हुसैन टेकरी की दरगाह) में भी लोग जाते हैं। वहां नाचते-कूदते हैं। इससे ठीक होकर आ जाते हैं। इस पर तो कोई प्रश्न चिन्ह नहीं उठाता, लेकिन बागेश्वर के पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर प्रश्न चिन्ह उठा रहे हैं। मैं समझता हूं कि यह सनातन धर्म के प्रति लोगों के अविश्वास के कारण हो रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने धीरेन्द्र शास्त्री को घेरा

वहीं नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ गोविंद सिंह की इस पूरे मामले पर अलग राय है। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को घेरते हुए कहा है कि उनके पास यदि चमत्कारी शक्तियां हैं तो उन्हें प्रमाणित करें। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को उनकी शक्तियों को प्रमाणित करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर सरकार पर आरोप लगे तो वे अपना बिस्तर लेकर क्यों भागे।

शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे सनातन धर्म में विश्वास करते हैं। लेकिन पाखंड और ढोंग में उनका भरोसा नहीं है। देश में हिंदुओं की संख्या अधिक है। वे भी पाखंड को ठीक नहीं मानते हैं। गोविंद सिंह ने कहा कि जब नागपुर की अंधविश्वास उन्मूलन समिति ने शक्तियां प्रमाणित करने की चुनौती दी तो वे वहां से भाग क्यों खड़े हुए। यदि वे सच्चे हैं तो जवाब दें और सभी जवाब प्रामाणिकता के आधार पर दें।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नागपुर में श्रीराम चरित्र चर्चा का आयोजन हुआ था। यहां धीरेंद्र शास्त्री का दरबार लगा था। इस दौरान अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने उन पर जादू-टोने और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। धीरेंद्र शास्त्री पर दिव्य दरबार और प्रेत दरबार की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिए जाने का आरोप था। इसके बाद से ही विवाद जारी है।

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