माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करने का महत्व है. इस दिन अगर सम्पूर्ण रूप से मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है. जिन्हें भी मानसिक समस्या, भय या वहम की समस्या हो उनके लिए आज का स्नान महत्वपूर्ण है. इस दिन की प्रक्रिया के पालन से ग्रहों की शांति और दोषों का निवारण दोनों हो सकता है. इस बार की मौनी अमावस्या के साथ कुम्भ का संयोग भी है जो इसको अत्यंत दुर्लभ बना रहा है.

इस दिन चन्द्रमा और सूर्य दोनों मंगल के नक्षत्र में होंगे. देव गुरु और दैत्य गुरु दोनों में सुंदर संबंध बना होगा. मंगल अपनी राशि में होंगे, जिसके कारण धर्म कार्य लाभकारी होगा. शनि और सूर्य के संबंध के कारण ये पर्व और भी लाभकारी होगा.

प्रातः काल या संध्याकाल स्नान के पूर्व संकल्प लें. पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें. फिर स्नान करना आरम्भ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को काले तिल मिलाकर अर्घ्य दें. साफ वस्त्र धारण करें और मंत्र जाप करें. मंत्र जाप के पश्चात वस्तुओं का दान करें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं.

इस दिन भगवान शिव के मंदिर जाएं. शिव जी को एक रुद्राक्ष की माला अर्पित करें. धूप जलाकर शिव जी के मंत्र का उसी माला से 108 बार जाप करें. मंत्र होगा – “रूपं देहि , यशो देहि , भोगं देहि च शंकर।भुक्ति मुक्ति फलं देहि , गृहीत्वार्घ्यम नमोस्तुते।।” इसके बाद इस माला को या तो अपने पास रक्खें या गले में धारण करें.

मौनी अमावस्या पर मुक्ति मोक्ष के लिए- गौ दान. आर्थिक समृद्धि के लिए- भूमि दान. ग्रह नक्षत्र बाधा से मुक्ति के लिए- काले तिलों का दान. रोग और कर्ज मुक्ति के लिए- स्वर्ण दानय. पारिवारिक जीवन की खुशहाली के लिए- पात्र सहित घी का दान. किसी भी प्रकार की बाधा से मुक्ति के लिए- लवण (नमक) और वंश वृद्धि और संतान की उन्नति के लिए- रजत (चांदी) का दान कर सकते हैं.

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