सूरत. प्राइवेसी और डेटा सिक्युरिटी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। गूगल-फेसबुक जैसी ग्लोबल कंपनियों को इस मुद्दे पर अमेरिकी संसद में जवाब देना पड़ रहा है, लेकिन भारत में इस बेशकीमती डेटा की कीमत चंद पैसों में सिमटकर रह गई है। आपको हैरानी होगी कि सिर्फ 6 पैसे देकर किसी का भी मोबाइल नंबर, ईमेल और यहां तक कि घर का पता तक हासिल किया जा सकता है।
इस काम में सबसे ज्यादा बैंकों के फिजिकल वेरिफिकेशन वाले एजेंट शामिल हैं। नगर पालिका, ट्रांसपोर्ट ऑफिस, बिल्डर्स, मोबाइल विक्रेता और सिम देने से पहले वेरिफिकेशन करने वाले भी इस काम में लगे हुए हैं।
5 पैसे में पहचान पत्र, ढाई हजार में क्रेडिट कार्ड डीटेल
बैंकिंग डिटेल्स के अलावा आधार और पैन कार्ड का डेटा भी बाजार में उपलब्ध है। ऑनलाइन ठगी करने के लिए हैकर इनका ही उपयोग करते हैं। डेटा माफिया हमेशा ई-मेल, वेब, फोन कॉल या फिर व्हाट्सऐप के जरिए डील करते हैं। 100-150 लोगों का डेटा सेंपल में दे-देते हैं। नाम, मोबाइल नंबर, पता, पहचान पत्र केवल 5 पैसे में मिल जाता है। एक क्रेडिट कार्ड के डेटा का रेट 35 डॉलर यानी ढाई हजार रुपए है। डेटा माफिया के पास लोगों की कंपनी और पद की जानकारी भी होती है।
भारत में क्या है कानून
देश में डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मुताबिक, कोई संस्था किसी व्यक्ति का डेटा इकट्ठा तो कर सकती है, लेकिन बिना अनुमति बेचना जुर्म है।