मेडिकल कोर्स में दाख़िले के लिए होने वाली परीक्षा नीट 2020 में दूसरी रैंक पाने वाली आकांक्षा सिंह का परिवार फूले नहीं समा रहा है. परिवार के सभी सदस्य ख़ुश हैं कि आकांक्षा ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मेडिकल की पढ़ाई करने का जो सपना देखा वो पूरा हो रहा है.

आकांक्षा सिंह एक न्यूरो सर्जन बनना चाहती हैं और इसी क्षेत्र में शोध करना चाहती हैं.

लेकिन परिवार इस बात से परेशान है कि आकांक्षा की फ़र्ज़ी आईडी बना कर ये शिकायत की जा रही है कि उनके साथ भेदभाव हुआ है और उनके 720 अंक आने के बावजूद उन्हें दूसरी रैंक क्यों दी गई है.

दरअसल इस साल हुई नीट की परीक्षा में ओडिशा के शोएब आफ़ताब और आकांक्षा सिंह को 720 में से 720 अंक मिले हैं, लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की टाई-ब्रेकिंग नीति के तहत कम उम्र वाले को दूसरी रैंक मिलती है. ऐसे में आकांक्षा पहली रैंक से फिसल गई.

Show comments
Share.
Exit mobile version