लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब कोई भी बुखार रहस्मय नहीं रहेगा। वहीं स्वस्थ्य विभाग ने डेंगू की रोकथाम के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिये जांच लैब की संख्या बढ़ाई जा रही। प्रदेश में रहस्यमयी बुखार की पहचान के लिये पीजीआई व केजीएमयू में एपेक्स लैब की स्थापना की गयी है। इस लैब में 48 घण्टे के अंदर बुखार के विषाणु की पहचान हो सकेगी।

प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.वेदब्रत सिंह ने राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यशाला में जानकारी देते हुये बताया कि डेंगू की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जागरुकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में डेंगू की बीमारी से पीड़ित गम्भीर मरीजों के लिए खास इंतजाम किये जा रहे हैं। इसी के तहत सभी जिलों में ब्लड सेपरेशन युनिट व करीब 88 जांच केंद्र बनाये जा रहे हैं। जहां पर डेंगू की तत्काल जांच हो सके। इससे समय बचेगा और मरीज को जल्द से जल्द उचित इलाज मिलेगा।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संचारी रोग निदेशक डॉ. ए के. सिंह ने बताया कि अब 48 घंटे के भीतर अज्ञात बुखार के विषाणु की पहचान हो सकेगी। उन्होंने बताया कि भारत में डेंगू बीते कुछ सालों में बढ़कर आठ गुना हो गया है। इसके पीछे का एक कारण डेंगू के वायरस में बदलाव भी रहा है। उन्होंने बताया कि राजधानी में इस साल जनवरी के महीने से लेकर अप्रैल तक 25 मामले सामने आये हैं। वहीं प्रदेश में डेंगू पीड़ितों की संख्या करीब 75 रही है।

डेंगू की रोकथाम के लिए सीएचसी स्तर पर डेंगू रिस्पांस टीम बनायी गयी है, जो किसी के बुखार आने पर तत्काल जांच से लेकर इलाज मुहैया कराने का काम करेगी। इससे डेंगू पीड़ितों की जान बचायी जा सकेगी।

डेंगू में मरीज को खतरा बुखार के बाद
डाॅ. विकास सिंघल ने बताया कि डेंगू के मरीजों में उस समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। जब उनका बुखार उतर चुका होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि मरीज के शरीर में पानी की मात्रा कम या ज्यादा नहीं होनी चाहिए, इससे मरीज को खतरा हो सकता है।

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