नई दिल्ली। पेट्रोलियम उत्पादों की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देशों के लिए तेल निर्यातक देशों के संगठनों की ओर से अच्छी खबर आई है। तेल उत्पादक और निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस जैसे उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) के बीच 1 अक्टूबर से कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के उत्पादन में रोजाना 4 लाख बैरल की बढोतरी करने की बात पर सहमति बन गई है।

बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की मांग में हुई बढ़ोतरी और कोरोना महामारी से त्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की बात को ध्यान में रखते हुए ओपेक और ओपेक प्लस देशों ने मिलकर कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने की बात पर सहमति जताई है। ओपेक और ओपेक प्लस देशों के बीच हुई बातचीत के मुताबिक कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने से जहां वैश्विक जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा, वहीं कच्चे तेल की कीमत के नियंत्रित होने के बावजूद इन देशों को बड़ी मात्रा में राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत होने के बाद एक झटके में दुनिया के अधिकांश देशों की सारी गतिविधियों पर रोक लग गई थी। कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं, जिसकी वजह से दुनिया भर के ज्यादातर देशों में ईंधन की जरूरत भी न्यूनतम हो गई थी। ऐसा होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का बड़ा स्टॉक जमा हो गया था। इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत गिरकर न्यूनतम स्तर पर आ गई थी।

दुनिया भर में कच्चे तेल के भाव में कमी होने की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन और निर्यात करने वाले देशों काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था। इसी वजह से इन देशों ने मिलकर कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया था। इस फैसले के बाद कच्चे तेल का उत्पादन चरणबद्ध तरीके से कम कर दिया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की काफी कमी हो गई और इसका भाव बढ़कर 76 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया था।

कच्चे तेल की कीमत में हुई जोरदार बढ़ोतरी की वजह से ही भारत में भी साल 2021 के दौरान पेट्रोल और डीजल की कीमत में जोरदार उछाल आया। जिसकी वजह से अभी भारत में पेट्रोल और डीजल सर्वोच्च स्तर के करीब पहुंच कर बिक रहे हैं। हालांकि माना जा रहा है कि अगर ओपेक और ओपेक प्लस देशों के बीच कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने को लेकर बनी सहमति के हिसाब से कच्चे तेल का उत्पादन शुरू हो जाता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में भी गिरावट आएगी और इसका असर भारतीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी आने के रूप में भी नजर आएगा।

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